
*दो श्रम प्रवर्तन अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर किये सफाई कर्मचारियों के बयान दर्ज
*दिसम्बर 2020 के बाद से अस्पताल में सफाई कर्मचारियों की टेंडर प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी
*ठेकेदार ने सरकार के निर्धारित न्यूनतम वेतनमान ना मिलने के लिए अस्पताल प्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार
*अस्पताल प्रबंधन की दलीलः टेंडर प्रक्रिया के लिए डीजी हैल्थ से लेनी पड़ती हैं अनुमति, नहीं मिली अनुमति
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल के सविंदा सफाई कर्मियों की सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान ना मिलने की शिकायत पर श्रम विभाग ने अस्पताल पहुंचकर कार्यवाही शुरू कर दी है। श्रम विभाग के श्रम प्रवर्तन अधिकारी अनिल पुरोहित और मीनाक्षी भट्ट ने जिला अस्पताल पहुंचकर संविदा सफाई कर्मियों के बयान दर्ज किये। श्रम प्रवर्तन अधिकारी संविदा कर्मियों, अस्पताल प्रबंधन और ठेकेदार के बयान दर्ज करने के बाद शिकायत सही पाये जाने के बाद कार्यवाही करेगा।
वहीं ठेकेदार का तर्क हैं कि अस्पताल में सफाई कर्मचारियों का अन्तिम टेंडर दिसम्बर 2020 को हुआ था। जिसके आधार पर वह सफाई कर्मचारियों को वेतन दे रहे है। जबकि नियम हैं कि दो वर्ष बाद टेंडर की प्रक्रिया होनी चाहिए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा नियमों का पालन ना करते हुए टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गयी। अस्पताल प्रबंधन का तर्क हैं कि टेंडर की प्रक्रिया के लिए डीजी हैल्थ से अनुमति लेनी होती हैं, कई बार पत्र व्यवहार करने के बाद भी उनको डीजी हैल्थ से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति नहीं मिल रही है। जिसकारण टेंडर की प्रक्रिया अपनाई नहीं जा सकी।
बताते चले कि जिला अस्पताल व महिला अस्पताल समेत ब्लड बैंक में वर्षो से ठेका प्रथा पर सफाई कर्मचारियों को रखा जाता रहा है। ठेकेदार अजय सैनी द्वारा उक्त तीनों स्थानों पर कुल 25 सफाई कर्मचारियों को रखा गया है। अस्पताल प्रबंधन के टेंडर प्रक्रिया के मुताबिक प्रत्येक सफाई कर्मचारियों को अब तक 7,300 रूपये वेतनमान दिया जा रहा है। जोकि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान से कम है। सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान 11,500 हैं इसके अलावा पीएफ, ईएसआई अलग से है। सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान के नियमों की अस्पताल में अनदेखी की जा रही है।
बताया जा रहा हैं कि लम्बे समय से सफाई कर्मचारी अपने वेतनमान में बढोत्तरी को लेकर अपनी आवाज उठाते रहे है। वहीं ठेकेदार अजय सैनी भी अस्पताल प्रबंधन से टेंडर प्रक्रिया अपनाने के लिए लगातार कहते आ रहे है। अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के पिछले पांच सालों से टेंडर प्रक्रिया ना अपनाये जाने का खमियाजा सफाई कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। बताया जा रहा हैं कि सफाई कर्मचारियों द्वारा राज्य श्रम आयुक्त समेत केन्द्र श्रम मंत्रालय को पत्र भेजकर शिकायत करने के बाद स्थानीय श्रम विभाग एक्शन मोड में आया है और दो श्रम प्रवर्तन अधिकारियों ने जिला अस्पताल में पहुंचकर अपनी जांच शुरू कर दी है।
ठेकेदार अजय सैनी ने बताया कि जिला अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के सम्बंध में टेंडर दिसम्बर 2020 को हुई थी। लेकिन उसके बाद दोबार टेंडर प्रक्रिया अपनाई नहीं गयी। जबकि नियम हैं दो वर्ष के बाद टेंडर प्रक्रिया अपनाई जान चाहिए। उसके द्वारा भी अस्पताल प्रबंधन को टेंडर प्रक्रिया अपनाने के सम्बंघ में कई बार कहा जा चुका है, लेकिन कोई सकरात्मक जबाब उसको नहीं मिला है। मौजूदा वक्त में दिसम्बर 2020 को हुए टेंडर के अनुरूप सफाई कर्मचारियों को 7,300 रूपये वेतनमान दिया जा रहा हैं और अलग से पीएफ और ईएसआई भी जमा किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अगर नई टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती हैं तो सफाई कर्मचारियों को उसी के अनुरूप वेतनमान यानि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान दिया जाएगा। सफाई कर्मचारियों द्वारा लगातार वेतनमान बढाने की मांग की जा रही है। उनके द्वारा अस्पताल प्रबंधन को 30 मार्च 25 और 26 अप्रैल 25 को पत्र सौप कर नई टेंडर प्रक्रिया शुरू ना होने पर वह सफाई कर्मचारियों की सेवाए अस्पताल में उपलबध नहीं करा पायेगें, के सम्बंध में अवगत कराया जा चुका है।
अस्पताल पीएमएस डॉ. विजयेन्द्र भारद्वाज ने बताया कि अस्पताल में उनके चार्ज लेने से पूर्व सफाई कर्मचारियों के टेंडर की प्रक्रिया लाम्बित चली आ रही है। पूर्व में भी तत्कालीन पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी जी द्वारा भी टेंडर प्रक्रिया के लिए डीजी हैल्थ को पत्र भेजकर अनुमति लेने के प्रयास किये गये थे। लेकिन उनको भी अनुमति नहीं मिली। उनके चार्ज सम्भालने के बाद भी उनके द्वारा भी सफाई कर्मचारियों के टेंडर प्रक्रिया की अनुमति मांगी गयी हैं, लेकिन अभी तक उनको टेंडर प्रक्रिया की अनुमति नहीं मिली है। उनको उम्मीद हैं कि एक-दो दिनों में डीजी हैल्थ से टेंडर प्रक्रिया की अनुमति मिलने की उम्मीद है। डीजी हैल्थ से अनुमति मिलने पर टेंडर प्रक्रिया की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।