🔸गोवंश को राष्ट्रीय पशु नहीं बल्कि, राष्ट्रीय प्राणी का दर्जा मिलना चाहिएः डॉ. तालिब
🔸श्रीकृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत उठाकर की थी ग्रामीणों की रक्षा, तभी से होती हैं ’गोवर्धन पूजा’
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। प्रसिद्ध कवि डा० श्याम बनौधा तालिब ने बताया कि पूरे भारत में दीपावली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पाँच त्यौहारों की एक श्रृंखला है – धनतेरस, छोटी दिवाली, अमावस को दिवाली, अगले दिन गोवर्धन पूजा व उससे अगले दिन भैयादूज। हम गोवर्धन पूजा त्यौहार की बात कर रहे हैं कि क्यों मनाते हैं और इससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण जी गोकुल में ग्वालों के साथ रहते थे। दिवाली के अगले दिन सभी गाँववासी गोवर्धन पर्वत पर इन्द्र देवता की पूजा करके प्रार्थना करते थे कि समय पर वर्षा होती रहे, जिससे गाँव में खुशहाली रहे। एक बार श्रीकृष्ण ने उन्हें कहा कि तुम सब इन्द्रदेव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करो, जहाँ तुम सब गायें चराते हो। सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की जिससे इन्द्रदेव ने कुपित होकर घनघोर वर्षा की ताकि सारा गांँव बह जाए। श्रीकृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत उठाकर उसके नीचे गाँव वालों को आश्रय दिया तथा उनकी रक्षा की। इसके बाद प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाने लगा।
उन्होंने बताया कि गोवर्धन का अर्थ है गायों या गोवंश का वर्धन अथवा विकास करना। भारत में गाय को माता या गोमाता कहा जाता है। माँ के दूध के बाद गाय का दूध ही शिशु का सर्वाेत्तम आहार है। अतः इस त्यौहार से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें गोवंश का यथासम्भव ध्यान रखना चाहिए, पालन करना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि जिसका दूध हमारे बच्चे पिएँ, यहाँ तक कि हम भी पिएँ, उसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए। यह नितान्त कृतघ्नता होगी कि उन्हें सड़कों पर मारी-मारी भूखी-प्यासी छोड़ दें। इस दिशा में प्रबल सामाजिक चेतना की आवश्यकता है।
सरकार को भी चाहिए कि जहाँ करोड़ों-अरबों की अनेक सरकारी योजनाएँ बनती हैं, उनमें गोपालन व गोसंरक्षण की योजनाएँ भी होनी चाहिएँ। राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण हेतु अनेक सरकारी अभयारण्य हैं। चीते, तेंदुए भी वन विभागों द्वारा पाले जाते हैं, जबकि ये सभी निष्ठुर माँसाहारी जानवर मनुष्यों, औरतों, बच्चों, गायों-भैसों, बैलों को अपना निवाला बनाने से नहीं चूकते। परिवार उजाड़ देते हैं। सरकार द्वारा गोवंश को राष्ट्रीय पशु नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राणी का दर्जा दिया जाना चाहिए तथा इनका सरकारी स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिए।
प्रसिद्ध कवि तालिब ने बताया कि गोवंश संरक्षण हेतु कानूनी प्रावधान होना चाहिए, जिसमें गोवंश को हानि पहुंचाने वालों को कठोर दण्ड का प्रावधान भी हो। तभी यह सनातन त्यौहार सार्थक होगा, जो जन-जन के मन में बसे भगवान श्रीकृष्ण जी की प्रेरणा से आरम्भ हुआ। सभी सनातन हिन्दू स्वयंसेवी संस्थाओं से इस दिशा में सहयोग अपेक्षित है।