
*करोड़ों का आश्रम हड़पने के इरादे से की थी नशीला इंजेक्शन देकर गला घोट कर हत्या
*हत्यारोपियों ने मंहत की हत्या के बाद शव को बोरे में बंदकर गंगनहर में फैंका
*प्रोपर्टी डीलर की मदद से आश्रम को ठिकाने लगाने की 10 करोड़ में थी डील की तैयारी
*पुलिस गोताखोर टीम की मदद से आरोपियों की निशानदेही पर शव तलाशने में जुटी
*मंहत की हत्या का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को पांच हजार के इनाम की घोषणा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। कनखल पुलिस ने लापता मंहत की गुत्थी को सुलझाते हुए हत्या का खुलासा कर वारदात के मास्टरमांइड समेत चार को गिरफ्तार किया है। जबकि हत्या मामले में शामिल दो आरोपी अभी भी फरार है। जिनकी पुलिस सरगर्मी से तलाश में जुटी है। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये आरोपियों में एक प्रोपर्टी डीलर व फर्जी बाबा भी शामिल है। आश्रम के मंहत की हत्या करोड़ों की सम्पत्ति हथियाने के इरादे से की गई। हत्यारोपियों ने मंहत को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोशी की हालत में गला घोट कर हत्या कर शव को ठिकाने लगाने के लिए बोरे में बंद कर गंगनहर में फैंक दिया। पुलिस गोताखोर टीम की मदद से हत्यारोपियों की निशानदेही पर मंहत के शव की तलाश में जुटी है। पुलिस ने हत्यारोपियों के खिलाफ सम्बंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र डोबाल ने शनिवार को रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय में लापता हुए संत की हत्या का खुलासा पत्रकार वार्ता के दौरान किया।

उन्होंने बताया कि रुद्रानन्द पुत्र श्यामलहरी गिरी निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मन्दिर देहरादून ने 17 अक्टूबर 24 को कनखल थाने में तहरीर देकर शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि महन्त गोविन्द दास शिष्य बिशम्बर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनखल हरिद्वार 15 जून 24 को धर्म प्रचार हेतु आश्रम से राजस्थान गये थे, लेकिन वापस नहीं लौटे। जिसपर पुलिस ने मंहत के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कर तलाश शुरू कर दी। लापता मंहत के लापता होने के सम्बंध में एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार और सीओ सिटी जूही मनराल के निर्देशन में पुलिस टीम ने मामले की विवेचना शुरू की, तो आश्रम के सेवादारांे मनीषानंद, शोभित और लापता मंहत के परिचितों से खुलासा हुआ कि जून माह 2024 से आश्रम में एक नया बाबा बैठा है। जिसको पहले कभी देखा नहीं गया। पूछताछ के दौरान पुलिस टीम को आश्रम के कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होने पर आश्रम में बैठाए गए नए बाबा रामगोपाल नाथ से कई चरणों में पूछताछ की गयी।
एसएसपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मंहत के लापता होने की गुत्थी से पर्दा उठते ही हत्या का खुलासा हुआ। मंहत की हत्या का मास्टरमांइड अशोक जोकि कपड़े की फेरी लगाने का काम करता हैं। जिसका आश्रम के आसपास इलाकों में कपडे बेचने के लिए आना जाना लगा रहता था। अशोक फेरी लगाने के दौरान वह कभी-कभी एक-दो दिन के लिए आश्रम में ठहर जाया करता था, इसी दौरान उसकी मंहत से मुलाकात हुई थी। अशोक का आश्रम में वर्ष 2021 से आना जाना लगा रहता था, इसलिए उसकी मंहत से अच्छी जान पहचान हो गयी थी। मुख्यारोपी अशोक आश्रम में ठहरने के दौरान समय-समय पर अपने दोस्त ललित, सौरभ व प्रदीप को भी आश्रम में बुलाता रहता था। अशोक के महंत के नजदीक होने के कारण उसको मालूम हो गया था कि महंत का कोई उत्तराधिकारी नहीं है। शहर के बीचों-बीच स्थित आश्रम की बेशकीमती संपत्ति को हड़पने के इरादे से उसने अपने साथियों ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ षड़यंत्र के तहत महंत को रास्ते से हटाकर आश्रम पर कब्जा करने की पूरी स्क्रिप्ट लिख डाली।
कप्तान ने बताया कि अशोक ने अपनी योजना के तहत सबसे पहले आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे हटा दिए और मौका देखकर 01 जून 2024 को महंत राम गोविंद दास को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोशी की हालत में उनका गला घोंटकर हत्या कर दी। मंहत की हत्या के बाद आरोपियों ने शव को कट्टे में बांधकर किराए की स्कूटी लाद कर गंग नहर में फेंक दिया। महंत की हत्या के बाद अशोक ने 03 जून को अपने परिचित फर्जी बाबा रामगोपाल नाथ को रुपयों का लालच देकर आश्रम की निगरानी के लिए बुलाया और फर्जी बाबा को घटना से अंजान रखते हुए महंत के धर्म प्रचार हेतु अयोध्या जाना बताते हुए अन्य द्वारा मंहत के बारे में पूछे जाने पर वही जबाब देने को बोला गया। लेकिन बाबा रामगोपाल नाथ को उनके साथ उठने बैठने, खाने-पीने के दौरान कुछ दिन बाद आश्रम के महंत की हत्या की जानकारी हो गई, लेकिन समय-समय पर मिल रहे खर्च एवं आश्रम बेचकर हिस्से में आने वाले मोटे मुनाफे मिलने के लालच में वह चुपचाप बैठा रहा और घटना को दबाए रखा।
उन्होंने बताया कि आश्रम ठिकाने लगाने के लिए छोटा-मोटा प्रोपर्टी डीलर संजीव त्यागी से सम्पर्क कर आश्रम बेचने की रूपरेखा तैयार की गयी। मुख्य हत्यारोपी ने महंत के हू-ब-हू जाली हस्ताक्षर कर फर्जी वसीयतनामा तैयार किया। मंहत की हत्या मामले में अभी तक फिलहाल 06 आरोपी प्रकाश में आए हैं, विवेचना के दौरान अन्य की संलिप्तता की भी जानकारी जुटाई जा रही है। मास्टरमाइंड अशोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर महंत की करोड़ों की प्रोपर्टी हड़पने के उद्देश्य से घटना को अंजाम दिया था। मुख्य हत्यारोपी महंत की हत्या के पश्चात महंत की लगभग 50 लाख की एफडी, चेक बुक, मोबाइल व अन्य दस्तावेज अपने साथ ले गया और गुमराह करने के उद्देश्य से मृतक के मोबाइल में अलग अलग सिम डाल रहा था। महंत के बैंक एकाउंट चैक पर फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से लगभग 10 लाख की रकम भी हड़प चुका था, इसके बाद अब लाखों की एफडी जिसके मूल कागज़ात इनसे बरामद हुए हैं, को कैश कराने की फिराक में घूम रहा था।
श्री डोबाल ने बताया कि हत्यारोपी प्रोपर्टी डीलर संजीव त्यागी के साथ मिलकर आश्रम का फर्जी वसीयतनामा बनाकर आश्रम को 10 करोड़ में बेचने की डील की तैयारी में थे। महंत की हत्या के बाद मुख्य हत्यारोपी अशोक द्वारा फर्जी बाबा को आश्रम बैठाकर सभी को आश्रम से जुड़े नए सेवादारों व महंत के परिचितों को यह कह कर गुमराह किया गया कि महंत जी धर्म प्रचार हेतु अयोध्या गए हैं व आश्रम की देखभाल हेतु नए बाबा को रखा गया है। पुलिस ने मुख्य हत्यारोपी अशोक कुमार पुत्र रघुवीर सिंह मकान नम्बर 57 गली नम्बर 02 दुर्गापुरी एक्टेन्शन शहादरा थाना ज्योतिनगर दिल्ली, ललित पुत्र दिनेश शर्मा निवासी पृथ्वी विहार नियर एफसीआई गोदाम मेरठ रोड थाना 32 सेक्टर करनाल, प्रोपर्टी डीलर संजीव कुमार त्यागी पुत्र शरदचन्द निवासी मुण्डेत थाना मंगलौर हरिद्वार और फर्जी बाबा योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिहं पुत्र स्व. मनफूल सिहं निवासी ग्राम कोहरा थाना सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर नगर 78 यूपी को गिरफ्तार कर लिया। जबकि दो आरोपी सौरभ और प्रदीप फरार है। जिनकी पुलिस सरगर्मी से तलाश में जुटी है। मंहत की हत्या का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को पांच हजार का इनाम देने की घोषणा की है।