
*एसटीएफ टीम को 20 साल बाद मिली डकैत को पकडने में सफलता
*वर्ष 2004 में दिनदहाड़ें तमंचे की नोक पर डाली थी बैंक में डकैती
*डकैती का मुख्यारोपी घटना के माह के भीतर पुलिस मुठभेड़ में हो चुका था ढेर
*पुलिस टीम डकैती में शामिल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर भेज चुकी जेल
मुकेश वर्मा
देहरादून/हरिद्वार। उत्तराखण्ड एसटीएफ ने करीब 20 साल बाद दिनदहाड़ेे इलाहाबाद बैंक में पड़ी डकैती के फरार एक लाख के इनामी को तमिलनाडु से गिरफ्तार कर लिया। जबकि डकैती के मुख्यारोपी घटना के एक माह के भीतर पुलिस मुठभेड़ के दौरान ढेर हो चुका था। पुलिस बैंक में पड़ी डकैती में शामिल चार बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन के सामने इलाहाबाद बैंक में दिनदहाड़े तमंचे की नोक पर करीब आधा दर्जन बदमाशों ने डकैती डालकर सनसनी फैला दी थी। बदमाश बैंक के स्टॉफ समेत मौजूद लोगों को बंधक बनाकर उनको स्ट्रांग रूम में बंद कर लाखों लूट कर फरार हो गये थे। इसकी जानकारी एसटीएफ एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने आज एसटीएफ कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान किया।
उन्होंने बताया कि 17 दिसम्बर 2004 की दोपहर करीब 02. 20 बजे रेलवे स्टेशन हरिद्वार के सामने स्थित इलाहाबाद बैंक में 05 से 06 बदमाशों ने तमंचे की नोक पर बैंक स्टॉफ समेत अन्य मौजूद लोगों को बंधक बनाकर बैंक से नौ लाख इकसठ हजार नौ सौ पचास लूटकर स्टॉफ और मौजूद लोगों को स्ट्रांग रूम में बंद कर फरार हो गये थे। हरिद्वार में दिनदहाड़े इलाहाबाद बैंक में पड़ी डकैती को तत्कालीन एसएसपी अभिनव कुमार (वर्तमान पुलिस महानिदेशक) ने घटना को चुनौती के तौर पर लेते हुए घटना का अनावरण करते हुए डकैती के मुख्यारोपी टीपू यादव पुत्र स्व. प्रयाग यादव निवासी दिगहा पटना विहार को गिरफ्तार कर लिया था।
उन्होंने बताया कि जिसके पास से पुलिस ने डकैती में इस्तेमाल लाल रंग का तमंचा भी बरामद किया था। पूछताछ के दौरान मुख्यारोपी ने अपने साथियों की पूरी जानकारी पुलिस टीम से साझा की थी। पुलिस टीम मुख्यारोपी को लेकर डकैती में शामिल बदमाशों को दबोचने के लिए बिहार ले जाते वक्त उसके साथी द्वारा पुलिस कस्टडी से छुडाकर भगा ले जाने के दौरान जनपद हरिद्वार सीमा के भीतर पुलिस मुठभेड़ के दौरान टीपू यादव ढेर हो गया था। जबकि उसका साथी फरार होने में कामयाब रहा था।
एसएसपी श्री भुल्लर ने बताया कि पुलिस टीम ने डकैती में शामिल चार बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन एक आरोपी उदय उर्फ विक्रांत पुत्र विंदेश्वर निवासी ग्राम खेरकैमा जिला पटना बिहार फरार होेने में कामयाब रहा। जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम द्वारा उसके सम्भावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी की गयी। लेकिन आरोपी पुलिस टीम को गच्चा देकर फरार होने में कामयाब रहा। पुलिस टीम ने फरार आरोपी के घर की कुर्की तक की गई, लेकिन उसके बावजूद फरार आरोपी पर कोई दबाब नहीं बना सका।
उन्होंने बताया कि पुलिस मुख्यालय उत्तराखण्ड द्वारा फरार डकैत की गिरफ्तारी पर 01 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया। उत्तराखण्ड एसटीएफ टीम द्वारा कुशल व सटीक रणनीति बनाकर अपने मैनुअल मुखबीर तंत्र की मदद से फरार आरोपी के बारे में सूचना मिली कि इलाहाबाद बैंक डकैती का फरार आरोपी तमिलनाडु में कहीं पर छिपकर रह रहा है। इस सटीक सूचना पर एसटीएफ की टीम उपनिरीक्षक विद्या दत्त जोशी के नेतृत्व में जनपद वेल्लोर, तमिलनाडु भेजी गयी। एसटीएफ टीम द्वारा अथक प्रयास से फरार डकैत के सम्बंध में सूचना एकत्रित कर उसको गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु से दबोचे गये फरार आरोपी ने खुलासा किया कि उसने हरिद्वार में बैंक डकैती से पूर्व बिहार में पटना क्षेत्र से एक व्यक्ति रविन्दर उर्फ अरविंद को फिरौती के लिये अपहरण किया था, जिसके बाद वह वर्ष 2004 में हरिद्वार आ गया था। यहां पर उसने जूस की ठेली लगाकर रहने लगा और इसी दौरान उसने अपने साथियों के साथ इलाहाबाद बैंक में डकैती की योजना बनाकर दिनदहाड़े डकैती की घटना को अंजाम दिया था। बैंक डकैती में अपने साथी टीपू यादव के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पकड़े जाने के डर से अपना बेश बदलकर अपने भाई पवन कुमार के साथ विशाखापट्टनम में चला गया था। जहां पर वह फुटपाथ पर कपड़े की ठेली लगाकर जीवन यापन कर रहा था और वहीं पर उसने शादी कर ली।
बैंक डकैती के फरार एक लाख के इनामी को गिरफ्तार करने वाली एसटीएफ टीम में एसटीएफ निरीक्षक अबुल कलाम, उपनिरीक्षक यादवेंद्र बाजवा, उपनिरीक्षक विद्या दत्त जोशी, अपर उपनिरीक्षक संजय मल्होत्रा, हेंड कांस्टेबल संजय कुमार, हेंड कांस्टेबल महेन्द्र नेगी, हेंड कांस्टेबल बृजेन्द्र चौहान, कांस्टेबल मोहन असवाल, कांस्टेबल गोविन्द बल्लभ, कोतवाली नगर हरिद्वार टीम में उपनिरीक्षक प्रदीप कुमार, कांस्टेबल सुनील और कांस्टेबल राकेश शामिल रहे।