■आरोपः पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने संत से भूमि रिनुअल के नाम पर मांगे थे 2 करोड़
■पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी रह चुके नेताओं ने बोला बड़ा हमला
■हरीश रावत के आरोपों पर दिया करारा जबाब, एसडीएम मामले को भी उठाया
■उत्तराखण्ड में कांग्रेस को ठिकाने लगाने व परिवारवाद को बढावा देने का लगाया आरोप
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी रह चुके नेताओं ने आज हरीश रावत के आरोपों का करारा जबाब देते हुए उनपर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि हरीश रावत जबाब दें कि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में उनकी सरकार क्या दलालों के चुंगल में थी ?। उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार को मुख्यमंत्री हरीश रावत नहीं दलाल चलाते थे?। पूर्व मुख्यमंत्री को उस एसडीएम का नाम उजागार करना चाहिए। जिसको एडीएम बनाने के नाम पर सुपारी लेने के आरोप कांग्रेस को छोड़ कर जाने वालों पर लगाये थे। जबकि हम लोग उत्तराखण्ड में कांग्रेस का सफाया करने तथा परिवारवाद को बढावा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की परिवारवाद की मानसिकता के चलते कांग्रेस को छोड़कर गये थे। कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए नेता पुरूषोत्तम शर्मा, मंहत स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा हठयोगी, राजेश रस्तौगी, सत्यनाराण शर्मा मंगलवार को प्रेस क्लब हरिद्वार में संयुक्त रूप से पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे।
उन्होंने कहा कि जिस संत के सम्बंध में पूर्व मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश की भूमि को संस्था के नाम कराने के लिए दबाब डालने को आरोप लगा रहे है। जबकि सच्चाई यह हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भूमि का रिनुअल कराने के नाम पर अपने ही करीबी संत से 2 करोड़ की डिमांड की थी। जिनके द्वारा इंकार कर देने के बाद संत ने न्यायालय की शरण ली और न्यायालय के आदेश पर उक्त भूमि का रिनुअल हो सका। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं पर मनगढत आरोप लगाते हुए उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे है। जोकि उनकी राजनीति से ग्रसित ओछी मानसिकता को दर्शाता है। जबकि उन्हीें नेताओं की मेहनत व प्रयासों से वह हरिद्वार लोकसभा सीट पर विजयी होकर संसद पहुंचे और केबिनेट मंत्री भी बने और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भी बने।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस छोड़ने वालों पर उनके कार्यकाल में लाभ लेने के आरोप लगा रहे है। पहले उनको अपनी व अपने परिवार की सम्पत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना चाहिए। जब हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने वाले बेटे वीरेन्द्र रावत ने साढे चौदह करोड़ की अपनी सम्पत्ति घोषित की है। इसी बात से साफ हो जाता हैं कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों के पास कितनी सम्पत्ति होगी, इसकी जानकारी हरीश रावत को प्रदेश की जनता के सामने रखनी चाहिए। पूर्व हरीश रावत मुस्लिम, गरीबों, पिछड़े वर्ग और एससी-एसटी के हमदर्द बनने के दावे कर रहे है। क्या बता सकते हैं कि हरीश रावत ने कितने मुस्लिम, गरीबों, पिछड़े वर्ग और एससी-एसटी के लोगों को किसी भी चुनाव में टिकट दिलाने और लाभ पहुंचने का काम किया हो। हरीश रावत के मुख्यमंत्री कार्यकाल में हरिद्वार की जनता की पूरी उपेक्षा की गयी। हरिद्वार का व्यापारी हो या फिर समान्य व्यक्ति उनको मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलने के लिए उनके कार्यालय में देर रात का इंतजार करना पड़ता था।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत आज कांग्रेस पार्टी व उनके प्रति ईमानदारी व कर्त्तव्यनिष्ठा निभाने वालों को उनका आभार जताने की बजाय उनपर गम्भीर आरोप लगा रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड में परिवारवाद को जन्म देकर वर्षाे से कांग्रेस में अपनी निष्ठा व जीवन सर्म्पण करने वाले कार्यकर्त्ताओं के साथ धोखा किया है। हरिद्वार लोकसभा सीट की 14 विधानसभा क्षेत्रों में हरीश रावत को ऐसा कोई नेता व कार्यकर्त्ता नजर नहीं आया, जोकि लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के काबिल हो, जो अपने बेटे वीरेन्द्र रावत को हरिद्वार लोेकसभा सीट पर जबरन कांग्रेस हाईकमान को इमोशनल ब्लेकमेल कर टिकट दिला लाये। परिवारवाद को बढावा देते हुए हरीश रावत ने पत्नी, बेटी, खुद और अब बेटा ही कांग्रेस के टिकट के दावेदार रह गये है। क्या पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का परिवार ही विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो उसके टिकट का दावेदार वहीं हैं? इसका जबाब हरिद्वार की जनता और कांग्रेस से सालों से जुड़े हर कार्यकर्त्ता को मिलना चाहिए। आरोप लगाया कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस पार्टी में जितने भी पद हैं उन पदों पर हरीश रावत के परिवार का कब्जा है।
प्रेसवार्ता के दौरान स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, संजीव चौधरी, रामविशाल देव आदि मौजूद रहे।