विश्व एकता अभियान के स्थापना दिवस पर सदस्यों ने रखे अपने-अपने विचार
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। विश्व एकता अभियान के स्थापना दिवस पर संस्थापक डॉ बुद्ध प्रकाश शुक्ला के निवास दादूबाग कनखल में एक विचार गोष्ठी का आयोजन डॉ. अजय पाठक की अध्यक्षता में किया गया। वैश्विक स्तर पर फैली अशांति, हिंसा और धार्मिक उन्माद तथा तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ते कदमों की आहट को देखते हुए यदि हम अब भी न चेते तो पूरा विश्व इस आग में झुलस जाएगा। इसी ज्वलन्त व संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रित विचार गोष्ठी का संचालन डॉ एम सी काला ने किया। इस गोष्ठी में मौजूद सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखते हुए चिंता जाहिर की।
गोष्ठी में सीमा सदफ ने कहा कि नैतिक शिक्षा द्वारा नैतिक मूल्यों का संवर्धन हो ताकि विश्व शांति का विचार सबके मन में उपजे एवं विश्व शांति और कल्याण की अवधारणा को बल मिले।
डॉ. श्याम बनौधा तालिब ने कहा कि जिस प्रकार एक देश की संघ सरकार के अधीन राज्य सरकारें अनुशासन में कार्य करती हैं, उसी प्रकार विश्व-स्तर पर एक विश्व संघ सरकार होनी चाहिए, जिसके अधीन विश्व के सभी देश शांतिपूर्वक अनुशासन में कार्य करें।
राजीव राठी ने कहा कि विश्व एकता का मूल मंत्र अहिंसा व प्रेम भावना उत्पन्न करना है। पातंजलि योग सूत्र अहिंसा प्रतिष्ठाम् तत् सेनानियों बैर त्यागा में कहा है कि अपने स्वयं में स्थित होने से हम व हमारे चारों ओर के वातावरण में अहिंसा का भाव स्थापित होकर विश्व एकता अभियान सफल हो जाएगा।
गोष्ठी में डॉ. वेद भूषण त्रिपाठी ने कहा कि आओ जन-जन स्नेह भाव से संकल्पित हो जाएं। पृथ्वी रक्षार्थ ओजोन-परत के रक्षक हम बन जाएं। पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से जन जीवन को बचाएं।
गोष्ठी में डॉ. आशुतोष मिश्रा ने कहा कि विश्व एकता मंच के स्थापना समारोह के अवसर पर सामाजिक एकता और संघटनात्मक संरचना तथा सामूहिक एकता और शांति ही इस मंच का मूल मंत्र और उद्देश्य है। इसकी क्रियाविधि ही भविष्य में कार्यान्वित होने की ओर अग्रसर है।
गोष्ठी में लीना बनौधा इंशा ने कहा कि विश्व एकता को पूर्ण रूप से स्थापित करने के लिए हमें वेद, पुराण, गीता आदि ग्रंथों का गहन अध्ययन करना होगा। आज के परिवेश में युद्ध की सम्भावना बढ़ती जा रही है लेकिन थ्योरी के बिना सफल प्रैक्टिकल करना संभव नहीं है। यह युद्ध, भौतिक युद्ध नहीं, वैचारिक युद्ध है और वैचारिक युद्ध में सत्य की जीत व शांति स्थापित करने के लिए हमें गुरुकुलों में लौटना होगा।
संस्थापक डॉ. बीपी शुक्ला ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि क्या जीने के लिए मरना जरूरी है? हमारा फर्ज बनता है कि हम अपने बच्चों को, उससे बेहतर दुनिया दें, जैसी हमें हमारे पूर्वजों ने सौंप थी। यदि हम संगठित व अनुशासित होकर वैश्विक शांति के लिए अपना योगदान दें, तो आज का यह भयानक परिवेश बदल जाएगा और खुशहाल व सुरक्षित भविष्य अवश्य आएगा।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अजय पाठक ने कहा कि विश्व शांति सिद्धांत ईश्वरीय विधान है जिसका सूत्रपात हरिद्वार से बुद्धप्रकाश शुक्ला जी ने किया है। यह भाव विचार सदैव ही सत्ता में रहेगा।
गोष्ठी में राजीव राठी, डॉ आशुतोष मिश्रा, डॉ वेद भूषण त्रिपाठी, डॉ श्याम बनौधा तालिब, सीमा बनौधा सदफ, लीना इंशा, ईश्वर दयाल विश्नोई, रविंद्र गोयल, राजकुमार शर्मा, डॉ अजय पाठक, डॉ बुद्ध प्रकाश शुक्ला, डॉ एमसी काला और डॉ एसपी सुंदरियाल आदि शामिल रहे।