मुकेश वर्मा
हरिद्वार। देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पहली बार आयोजित देव डोली समागम ने एक ऐतिहासिक अध्याय का सूत्रपात किया। मृत्युंजय सभागार में सम्पन्न इस भव्य आयोजन का उद्देश्य उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को पुनः जीवंत करना था। इस समागम में श्रीमती ऋतु खंडूरी जी, अध्यक्ष, उत्तराखंड विधान सभा, ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की, और स्वामी ज्ञानानंद महाराज, प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु, ने अपने ओजस्वी विचारों से सभा को प्रेरित किया। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पंड्या एवं उपस्थित गणमान्य अतिथियों के कर कमलों से हुआ।
इस दौरान डॉ. पंड्या ने भारतीय संस्कृति की जीवंत धरोहर को संरक्षण देने और इसे आधुनिक युग के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से हम न केवल अपनी लोक परंपराओं का पुनर्निर्माण करते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य ‘संस्कृति से आध्यात्मिक उत्थान’ का जीवंत उदाहरण है। समारोह में उत्तराखंड की अनमोल संस्कृति को सजीव रूप से प्रस्तुत किया गया, जिसमें देव डोलियों का भव्य आगमन और पूजा अनुष्ठान मुख्य आकर्षण रहे। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों और गणमान्य अतिथियों ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया।
इस अवसर पर सभी ने संकल्प लिया कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से हमारी प्राचीन परम्परायें और अधिक प्रखर होकर आगे बढ़ेंगी। देव डोली समागम, जो विश्वविद्यालय के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ, ने न केवल इस आयोजन में सम्मिलित लोगों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मिशन को भी एक नई दिशा दी। एक ऐसा मिशन जो आध्यात्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक पुनर्निंर्माण का प्रतीक है।