
*माफिया सरकारी भूमि को दे रहे लोगों को किराये पर, बसी झुग्गी झौपड़ी
*आरोपः नगर निगम, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग, रेलवे, भेल भूमि पर हैं कब्जा
*विद्युत विभाग व जल संस्थान के कर्मचारी कर रहे माफियाओं को पूरा सहयोग
*सम्बंधित विभागीय अधिकारी अपनी भूमि पर हुए अतिक्रमण के प्रति बने लापरवाह
*लापरवाह विभागीय अधिकारियों को जगाने के लिए डीएम को एक्शन में आना होगा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। तीर्थनगरी में इनदिनों सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले कुछ माफिया सक्रिय है। जिनके द्वारा नगर निगम, उत्तराखण्ड व यूपी सिंचाई विभाग, रेलवे, भेल भूमि पर कब्जा कर उनपर कुछ लोगों को या तो अस्थाई दुकान लगाने या फिर रहने के लिए झुग्गी-झौपड़ी डालने के लिए किराये पर दिया जा रहा है। आरोप हैं कि नगर निगम की भूमि पर कब्जा कराने में उन वार्डो के कुछ पार्षदों की भी मिलीभगत बतायी जा रही है। इतना नहीं माफियाओं का सहयोग विद्युत विभाग और जल संस्थान से जुडे कर्मचारी भी कर रहे है।
आरोप हैं कि सरकारी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण की जानकारी सम्बंघित विभागीय अधिकारियों को होने के बावजूद उनके द्वारा अपने विभाग की भूमि को मुक्त कराने की कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। आरोप हैं कि भूमि से सम्बंधित विभाग अधिकारियों को मामले से अवगत कराने पर उनके द्वारा अजीबो गरीब दलील दी रही हैं, उनकी दलील हैं कि उक्त भूमि हमारे विभाग की नहीं हैं, यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से किनारा किया जा रहा है।
बताते चले कि हरिद्वार के विभिन्न इलाकों के सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले कुछ माफिया सक्रिय देखे जा रहे है। जिनके द्वारा अतिक्रमण कर उक्त भूमि पर या तो अस्थाई दुकानों का निर्माण कराकर या फिर गरीब लोगों जोकि बाहर से रोजी रोटी की तलाश में आकर मजदूरी कर रहे हैं या फिर ई रिक्शा या आटो किराये पर लेकर संचालित कर रहे हैं उनको रहने के लिए अतिक्रमण की गई सरकारी भूमि पर झुग्गी झोपड़ी बसाने के लिए किराये पर दी जा रही है। जिनसे प्रतिमाह माफिया लाखों के न्यारे वारे कर रहे है।
यहां पर सवाल उठता हैं कि पुलिस प्रशासन का सत्यापन अभियान क्या इन अतिक्रमण की गई झुग्गी झोपडियों तक पहुंच भी पता हैं या फिर कॉलोनियों व शहर में ही सीमित रहता है। यदि पुलिस प्रशासन का सत्यापन इन झुग्गी झोपडी तक भी पहुंच रहा हैं, तो सरकारी भूमि पर किये गये अतिक्रमण के सम्बंध में उक्त विभागीय अधिकारियों को जरूर सूचित करना चाहिए, ताकि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के सम्बंध में उनकी आंखे खोली जा सके। अक्सर देखा जाता हैं कि जब विभागीय अधिकारियों को अपनी भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराना होता हैं तो पुलिस प्रशासन से सहयोग लेना पड़ता है।
आरोप हैं कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले माफियाओं को क्षेत्र के विद्युत विभाग और जल संस्थान के कर्मचारियों द्वारा पूरा सहयोग किया जा रहा है। माफियाओं की मंशा को विद्युत विभाग और जल संस्थान कर्मचारी फलीभूत कर रहे है। माफियाओं द्वारा अस्थाई बनाई गई दुकानों और झुग्गी झौपड़ी के लिए किराये पर दी गयी सरकारी भूमि पर बिजली-पानी की आवश्यकता पड़ती है। विद्युत विभाग के क्षेत्र के लाईनमैन और जल संस्थान के क्षेत्रीय कर्मचारी इनकी पूरी मदद कर रहे है।
यदि समान्य तौर पर देखा जाता हैं कि एक व्यक्ति को बिजली व पानी का कनेंक्शन लेने के लिए विभागीय नियमों के अनुसार पूरे कागजात लगाने के बाद भी उनको क्या-क्या पापड बेलने नहीं पड़ते, यह जग जाहिर है, लेकिन माफियाओं के काम बिना किसी कागजात के चंद घंटों पर बिजली-पानी का कनेक्शन हो रहा है। जोकि सम्बंधित विभागीय अधिकारियो की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के प्रति लापरवाह हो चुके सम्बंधित विभागीय अधिकारियों को जगाने के लिए जिलाधिकारीं को एक्शन में आना होगा, तब जाकर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले माफियाओं पर अंकुश लग सकेगा। माफियाओं के चुंगल से सरकारी भूमि को मुक्त कराते हुए माफियाओं की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही अमल में लाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए, तब जाकर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होने से बचाया जा सकेगा।