
*आयोजक नहीं बैठा पाये आपस में सामंजस्य, भीड़ नहीं जुटी
*समागम से अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने बनाई अपनी दूरी
*एबीकेएम के एक पत्र ने बिगाड़ दिया सारा खेल
ब्यूरो
लखनऊ। कहते है संगठन में ही शक्ति होती है और जब संगठन के नाम का उपयोग कर कोई व्यक्ति अपना आधिपत्य बनाने का प्रयास करे तो उसका ख़ामियाज़ा पूरे संगठन व पूरे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को भुगतान पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय कायस्थ समागम में, जहां एक व्यक्ति विशेष के हरकतों का ख़ामियाजा पूरे समागम को भुगतना पड़ा और महीनों की तैयारी के बाद भी राष्ट्रीय कायस्थ समागम फ्लॉप शो साबित हुआ। लखनऊ में राष्ट्रीय कायस्थ समागम आयोजन समिति के अगुवाई में केपी ट्रस्ट ने कायस्थों को एक मंच प्रदान करने का बीड़ा उठाया, लेकिन इस अभियान के एक दिन पूर्व एक पत्र ने पूरे अभियान को फ़्लॉप कर दिया।

पत्र को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के महासचिव द्वारा जारी किया गया था। जिसके माध्यम से अवगत कराया गया कि इस महाआयोजन में अनूप श्रीवास्तव द्वारा ग़लत ढंग से अपने को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का अध्यक्ष बता कर महासभा के लोगो का ग़लत उपयोग कर समागम में सिरकत होने की बात की जा रही है। इस पत्र के वायरल होने के बाद पूरे समाज में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने इस समागम से दूरी बना ली। बताया जा रहा हैं कि यही दूरी पूरी कायस्थ समागम के असफलता का कारण बनी।

समागम में दस हजार लोगो के आने की बात की गई थी और उसी अनुसार तैयारी भी की गई थी। लेकिन ख़ाली कुर्सिया बता रही है की असमंजस की स्थिति के कारण भीड दो हज़ार की सख्या भी नहीं पार हो पाई। अब इसे दुर्भाग्य कहे या राजनीति का शिकार, जो समाज पूरे देश को दिशा देता रहा हो वह आज ख़ुद दिशाहीन दिख रहा है। अगर समय रहते कायस्थ समाज के लोगों द्वारा एक सामूहिक प्रयास नहीं किया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब केवल यह समाज काग़ज़ों में ही सिमट कर रह जायेगा।

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