■श्रद्धालुओं ने स्नान ध्यान के बाद मन्दिरों में की पूजा अर्चना
■प्रशासन की ओर से किये थे सुरक्षा व व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
■श्रद्धालुओं ने पितृों के मोक्ष के लिए किया पिंडदान व कर्मकांड
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। सोमवती अमावस्या स्नान पर्व में विभिन्न प्रांतो से आये लाखों श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत शहर के अलग-अलग गंगा घाटों पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया। साथ ही गंगा स्नान के पश्चात श्रद्धालुओं ने मन्दिरों में पूजा अर्चना करते हुए अपने परिजनों समेत शुभचितंकों की कुशलता की कामना की। वहीं लोगों ने अपने पितृों के निमित उनकी मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंड दान व कर्मकाण्ड किये। पुलिस प्रशास की ओर से स्नान पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए व्यापक सुरक्षा व व्यवस्था के बदोबस्त किये गये थे। एसएसपी समेत डीएम ने मेला क्षेत्र का भ्रमण करते हुए श्रद्धालुओं की भीड़ व व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए अधीनस्थों को दिशा-निर्देश दिये।
तीर्थनगरी में सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर तड़के से ही विभिन्न प्रांतों से आये लाखों श्रद्धालुओं का स्नान करने के लिए तांता हरकी पैड़ी समेत शहर के अलग-अलग गंगा घाटों पर लगा रहा। स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं के स्नान करने का क्रम शाम तक लगातार बना रहा। श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हुए मन्दिरों में पूजा अर्चना करते हुए परिजनों व शुभचितंकों की कुशलता की कामना की। श्रद्धालुओं ने स्नान ध्यान के बाद दान भी किया गया। पुलिस प्रशासन की ओर सोमवती अमावस्या स्नान पर्व को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए मेला क्षेत्र को 05 सुपर जोन, 16 जोन औरा 39 सेक्टरों में विभक्त किया गया था। स्नान पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व उनको व्यवस्थित करने के लिए पुख्ता इंतजाम किये गये।
वहीं हाईवे और शहर के भीतर जाम की स्थिति से निपटने के लिए यातायात प्लान लागू किया गया था। ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं व शहर के नागरिकों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े। अगर सुरक्षा की बात करें तो पुलिस प्रशासन की ओर से भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भारी पुलिस बल तैनात करते हुए खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क करते हुए तैनात किया गया था, जोकि भीड़भाड़ में संदिग्धों पर अपने पैनी नजर बनाये रहे।
शहर के बीच से बस अड्डे को भारी भीड़ उमड़ने को देखते हुए प्रशासन की ओर से ऋषिकुल मैदान में शिफ्ट किया गया था। वहीं बाहर से आये श्रद्धालुओं व स्थानीय नागरिकों ने अपने पितृों की मोक्ष के लिए गंगा किनारे और नारायणी शिला पर पिंडदान करते हुए कर्मकांड किया गया।