■खड़खड़ी श्मशान घाट पर प्रतिदिन 135 कुन्तल लकड़ी की खपत की होगी बचत
■जंगलों की कटाई में कमी के साथ-साथ पर्यावरण पर सकारात्मक पडेगा प्रभाव
■डीएम ने अधीनस्थों के साथ किया खड़खड़ी श्मशान घाट का स्थलीय निरीक्षण
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने गुरूवार की देर सांय खड़़खड़ी श्मशान घाट का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को अवगत कराया गया कि श्मशान घाट में प्रतिदिन अन्त्येष्ठी हेतु औषतन लगभग 135 कुन्तल लकड़ियों की आवश्यकता पड़ती है और बरसात के दौरान सूखी लकड़ियां मिलने में बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जिस पर जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा कि खड़़खड़ी श्मशान घाट में विद्युत शव दाह गृह संचालित किया जाये। विद्युत शव दाह गृह के संचालन के लिए प्राथमिकता से बजट उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने विद्युत शव दाह गृह संचालन हेतु कार्य योजना बनाकर शीघ्रता से प्रस्तुत करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। उन्होंने कनखल स्थित श्मशान घाट में भी विद्युत शवदाह गृह हेतु संभावनाएं तलाशने के निर्देश नगर निगम के अधिकारियों को दिये।
डीएम ने कहा कि तकनीकि दृष्टिकोण से विद्युत शव दाह गृह संचालित होने से प्रतिदिन 135 कुन्तल लकड़ी की बचत होगी, शव दाह कम समय व कम लागत में आसानी से किया जा सकेगा, यह विधि पर्यावारणीय दृष्टिकोण से भी अनुकूल है। विद्युत शवदाह में लकड़ी का उपयोग नहीं होता, जिससे जंगलों की कटाई कम होती है और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। परम्परागत दाह संस्कार की तुलना में बहुत कम प्रदूषण होता है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के दृष्टिगत विद्युत शवदाह प्रक्रिया में आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है। जिससे प्रक्रिया अधिक स्वच्छ और सुरक्षित होती है। राख का कम मात्रा में उत्पादन होता है जिससे इसको संग्रहीत करना और विसर्जित करना आसान होता है। विद्युत शवदाह गृह एक आधुनिक अेण् व्यावहारिक विकल्प है, जोकि पर्यावरणीय तथा स्वास्थ्य दोनो दृष्टिकोण से लाभकारी है।
निरीक्षण के दौरान सेवा समिति (श्मशान व्यवस्था) के उपाध्यक्ष दुर्गेश पंजवानी, सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान सहित सेवा समिति के पदाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।