मुकेश वर्मा
हरिद्वार। हरकी पैड़ी के समीप प्राचीन सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधु-संतों समेत श्रद्धालुओं ने हिस्सा लेकर पूजा अर्चना करते हुए हनुमान जी का आशीवार्द प्राप्त किया। इस मौके पर मन्दिर के महंत राजकुमार दास महाराज ने कहा कि कलयुग में जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान हनुमान जी की आराधना करेगा, उसको मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी। भगवान राम के वरदान अनुसार भगवान हनुमान कलयुग में इस धरती पर साक्षात भक्तों के कष्ट हरने करने के लिए विद्यमान है, जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान बजरंगबली के आराध्य भगवान श्रीराम तथा भगवान स्वयं श्री बजरंगबली की आराधना करेगा। वह कलयुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा और भगवान बजरंगबली उसके सभी संकट हर लेंगे। भगवान राम माता जानकी कि ऐसे भक्तों पर विशेष कृपा होगी।
इस अवसर पर स्वामी कल्याण देव महाराज ने कहा कि वीर बजरंगबली संकट मोचन कृपा निधान है, वे कलयुग में भक्तजनों के कष्ट हरने के लिए साक्षात विद्यमान है। स्वामी कृष्ण देव महाराज ने कहा कि भगवान बजरंगबली रुद्र अवतार है। भगवान शिव का ही रूद्र रूप है जो भी कलयुग में उनकी सच्चे मन से आराधना करेगा, उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे, उसके घर में धन-धान्य की वर्षा होगी और कीर्ति वैभव की उसे प्राप्ति होगी। इस अवसर पर राजेश्वर दुबे ने कहा कि यह सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर सदियों से यहां स्थापित है तथा इसकी बहुत प्राचीन मान्यताएं हैं जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आता है, उनकी सभी मन्नता की पूर्ति होती है।
उन्होंने बताया कि यह मंदिर पर्वतमाला में पर्वत की तलहटी में बना हुआ है। कई टन की शिला मंदिर के ऊपर गीलेरीग पर आकर हनुमान जी की कृपा से रुक गई है जो आज भी वही रुकी हुई है, इससे पूर्व में भी ऐसी कई चौंकाने वाली सिलाये पहाड़ से टूटकर मंदिर तथा मंदिर परिसर को बिना क्षति पहुंचा सीधे सड़क मार्ग की ओर निकलकर आगे गिरी यह सब हनुमान वीर बजरंगबली की कृपा है, की इतनी विशालकाय शीला उनके मंदिर को बिना क्षति पहुंचाये बिना ही एक मामूली सी गैलरीगं पर आकर रुक गई।
इस अवसर पर महंत बिहारी शरण महाराज, महंत अंकित शरण महाराज, महामंडलेश्वर दुर्गादास महाराज, महंत सूरज दास महाराज, महंत कमलेशानंद सरस्वती महाराज, महंत कैलाशानंद महाराज, स्वामी कल्याण देव महाराज, स्वामी कृष्ण देव महाराज, राजेश्वर दुबे, अभिषेक दुबे, घनश्याम दुब,े आचार्य अरुण शुक्ला, रमेश दास महाराज, आचार्य शैलेंद्र शास्त्री, आचार्य नितेश गौड, आचार्य प्रवीण पांडे आदि संत महापुरुषों ने अपने विचार व्यक्त किये।