
■मरीज को जबरन मुझ को स्थान्तरित किया गया, जबकि मेरा केस नहींः डॉ. वशिष्ठ
■चिकित्सक द्वारा लिखी जांच दो दिनों तक स्टाफ नर्स ने नहीं करायी
■व्यापारी नेता के हस्तक्षेप के बाद भर्ती मरीज की कराई गयी जांचे
■आरोपः स्टाफ नर्स ने किया व्यापारी नेता को गुमराह करने का प्रयास
■सीएमओ व डीएम से जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण करने की मांग
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल में जनरल वार्ड में भर्ती मरीज के उपचार में लापरवाही का मामला सामने आया है। वार्ड में भर्ती मरीज को चिकित्सक सर्जन द्वारा लिखी गयी जांचे दो दिनों तक स्टाफ नर्स द्वारा ना तो कराई गयी और ना ही सर्जन ने भी राउंड के दौरान मरीज को लिखी जांच की रिपोर्ट की जानकारी ली। मरीज की जांचे केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गयी। मामला तब खुलकर सामने आया जब व्यापारी नेता भर्ती मरीज को देखने के लिए अस्पताल पहुंचा। व्यापारी नेता के शिकायत करने पर स्टाफ नर्स और सर्जन को खून की जांच कराने की याद आयी। तब जाकर मरीज की जांच कराई गयी।
आरोप हैं कि सर्जन व्यापारी नेता के शिकायत करने पर मरीज के तिमारदारों पर भड़क पड़े कि उनकी शिकायत क्यों की गयी?। मरीज को कोई लाभ ना होने पर भी मरीज को आज डिसचार्ज कर दिया। मरीज की पत्नी का कहना हैं कि उसके पति को पांच दिन भर्ती करने पर कोई फायदा नहीं हुआ है। वहीं व्यापारी नेता ने जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के उपचार में घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सीएमओ, डीएम से ऐसे लापरवाह चिकित्सकों व स्टाफ नर्स के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
जानकारी के अनुसार सुनील कुमार निवासी मोती बाजार हरिद्वार 20 जुलाई 24 को पैरों में सूजन की शिकायत को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा था। जिसको चिकित्सकों ने भर्ती कर लिया। बताया जा रहा हैं कि शुरूआती तौर पर आथ्रो सर्जन डॉ. शिवम पाठक ने मरीज को देखा, जिन्होंने उसके एक्सरे भी कराये, जिसके बाद मरीज को उपचार के लिए उसकी फाइल जनरल सर्जन डॉ. सुरेश वशिष्ठ को ट्रांसफर कर दी। जिसके बाद सर्जन ने मरीज का उपचार शुरू कर दिया।
आरोप हैं कि सर्जन के द्वारा लिखी गई जांचों को दो दिनों तक स्टाफ नर्स ने नहीं कराया। जिसकी जानकारी मंगलवार को उस वक्त लगी। जब व्यापारी नेता राजकुमार गुप्ता मरीज को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे और मरीज से उनका हालचाल पूछा गया। इसी दौरान व्यापारी नेता ने चिकित्सक द्वारा खून की जांच करने के बारे में पूछा गया तो उसी दौरान मामला खुलकर सामने आया कि चिकित्सक ने जांच तो लिखी, लेकिन स्टाफ नर्स ने जांच नहीं करायी।
व्यापारी नेता राजकुमार गुप्ता जब स्टाफ रूम पहुंचे और जांचे की जानकारी ली गयी। आरोप हैं कि स्टाफ नर्स ने व्यापारी नेता को गुमराह करते हुए जानकारी दी कि हा खून की जांच कराई गयी है। जब उनसे रिपोर्ट दिखाने को बोला तो फाइल में जांच की रिपोर्ट ही नहीं मौजूद थी। जिसके बाद स्टाफ नर्स ने अपनी गलती का ठिकरा पैथोलोजी लैब पर फोडते हुए बोला कि अभी रिपोर्ट नहीं आयी है। जब पूछा गया कि दो दिन हो गये अभी तक रिपोर्ट नहीं आयी। उसके बाद स्टाफ नर्स ने मरीज के तिमारदारों पर ही निशाना साधते बोला कि इनको खून के सैम्पल लेकर दिये थे इनसे पूछो इन्होंने कहा पर दिये।
जबकि मरीज के तिमारदार ने स्पष्ट इंकार कर दिया कि उनको कोई खून के सैम्पल पैथोलोजी लैब में देने के लिए नहीं दिये। जिसके बाद स्टाफ नर्स ने मरीज के खून का सैम्पल निकाल कर पैथोलोजी लैब भिजवाया गया। यहां पर मजेदार बात यह हैं कि दो दिनों तक सर्जन स्टाफ नर्स के साथ मरीज की फाइल लेकर उसको देखने राउंड पर गये, लेकिन उन्होंने भी लिखी गयी जांच की रिपोर्ट के सम्बंध में स्टाफ नर्स से पूछने की जहमत तक नहीं उठाई। इसी बात से साफ हो जाता हैं कि कितनी ईमानदारी व गम्भीरता से अस्पताल में भर्ती मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
सर्जन डॉ. सुरेश वशिष्ठ ने बताया कि मरीज को जबरन उनको उपचार के लिए ट्रांसफर किया गया है। जबकि यह केस उनका नहीं है। मरीज को पांच इंजेक्शन लगाये जाने है। जिसके बाद उसको छुट्टी दे दी जाएगी। लेकिन मरीज का इलाज लम्बा चलेगा। जब चिकित्सक से उनके द्वारा मरीज के लिखी जांच के सम्बंध में सवाल किया गया तो उन्होंने माना की लापरवाही हुई है। लेकिन लापरवाही किस ओर से हुई हैं उस पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
मरीज सुनील कुमार की पत्नी नेहा अग्रवाल ने बताया कि आज उनके पति को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। जबकि उनके पति को कोई फायदा नहीं हुआ है। आरोप लगाया कि सर्जन ने नाराजगी जताते हुए बोला कि तुमने मेरी शिकायत क्यों की ?
व्यापारी नेता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के उपचार में घोर लापरवाही बरती जा रही है। जिस चिकित्सक ने जांचे लिखी उसी चिकित्सक ने दो दिनों तक अपने रांउड के दौरान अपने द्वारा लिखी गई जांच की रिपोर्ट तक नहीं मांगी। वहीं स्टाफ नर्स ने भी चिकित्सक द्वारा लिखी गयी जांचे नहीं कराई गयी। इसी बात से स्पष्ट हो जाता हैं कि कितनी गम्भीरता व ईमानदारी से जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों का उपचार किया जा रहा है। व्यापारी नेता ने सीएमओ हरिद्वार और डीएम हरिद्वार से जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण करते हुए भर्ती मरीजों से उनको मिलने वाले उपचार की जानकारी लेने तथा लापरवाही सामने आने पर सम्बंधित चिकित्सक और स्टाफ नर्स के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
आथ्रो सर्जन डॉ. शिवम पाठक से सम्पर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उनका फोन नहीं उठा, इसलिए उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।