■पित्त की थैली में पथरी के ऑपरेशन अस्पताल में नहीं हो पा रहे
■लाखों का वेतन लेने वाले सर्जन को मजबूरन मरीजों को करना पड़ रहा रेफर
■सर्जन की तैनाती से अब तक एक भी नहीं हुआ पित्त की थैली का ऑपरेशन
■अस्पताल प्रबंधन की ढुलमुल रवैये से मरीजों को उठानी पड़ रही भारी परेशानी
■मीडिया ने मामला उठाया, प्रबंधन जागा, वॉइस ट्रॉली दुरूस्थ कराने का दावा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों व मरीजों के उपचार के प्रति कितना संजीदा है, इस बात का पता इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि पिछले 10 माह से तैनात सर्जन को ऑपरेशन के लिए ओटी में वॉइस ट्रॉली उपलब्ध तक नहीं कराई गयी है। जिसके चलते सर्जन द्वारा पित्त की थैली में पथरी का ऑपरेशन कराने पहुंचने वाले मरीजों को हॉयर सेंटर रेफर करने के लिए मजबूर है।
अस्पताल में तैनात चिकित्सक (सर्जन ) की दलील हैं कि वह मरीजों के जीवन से जोखिम नहीं उठाना चाहते, इसलिए वह मरीजों को रेफर करने के लिए बेबस है। जबकि अन्य ऑपरेशन अस्पताल में किये जा रहे है। मामला मीडिया के संज्ञान में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इस ओर अपनी गम्भीरता व जिम्मेदारी दिखाते हुए वॉइस ट्रॉली को दुरूस्थ कर लेने का दावा किया है।
बताते चले कि पिछले एक साल से अधिक समय से जिला अस्पताल में जनरल सर्जन की कमी के चलते मरीजों को उपचार के लिए निजी हॉस्पिटलों या फिर एम्स हॉस्पिटल ऋषिकेश की ओर रूख करना पड़ता था। लेकिन सरकार द्वारा यूकोट वीपे योजना के तहत जिला अस्पताल में सर्जन की कमी को पूरा करते हुए सर्जन को तैनाती दी गयी। लेकिन एक साल के लम्बे इंतजार के बाद अस्पताल को मिले सर्जन का लाभ स्थानीय लोगों व दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है।
बताया जा रहा हैं कि जिला अस्पताल में चिकित्सक (सर्जन) की तैनाती हुए 09 माह का समय बीत चुका है। सरकार ने तो जिला अस्पताल में सर्जन की कमी को पूरा कर दिया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा सर्जन को ऑपरेशन के लिए चिकित्सीय उपकरण तक उपलब्ध नहीं करा सका है। जिसकारण हरिद्वार की स्थानीय जनता व दुर्घटना ग्रस्त मरीजों को सर्जन की तैनाती का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि सरकार द्वारा सर्जन को प्रतिमाह लाखों का वेतनमान दिया जा रहा हैं, उसके बावजूद सरकार द्वारा वेतनमान पर लाखों खर्च करने के बाद भी जनता को उसका पूरा लाभ अस्पताल प्रबंधन की ढूलमुल रवैये के चलते नहीं मिल पा रहा है।
बताया जा रहा हैं कि जब से सर्जन की तैनाती जिला अस्पताल में की गयी हैं, तब से आज तक उनके द्वारा एक भी पित्त की थैली में पथरी का ऑपरेशन नहीं किया गया है। जिला अस्पताल में पित्त की थैली में पथरी का ऑपरेशन कराने पहुंचने वाले मरीजों को हॉयर सेंटर रेफर किया जा रहा है। मामला मीडिया के संज्ञान में आने पर अस्पताल प्रबंधन से ऑपरेशन थियेटर में सर्जन को चिकित्सीय उपकरण यानि वॉइस ट्रॉली उपलब्ध ना कराये जाने के सम्बंध में सवाल किये गये तो कई दिनों तक प्रबंधन ने इधर उधर की बाते कर कोई संतोषजनक जबाब नहीं दिया। लेकिन जब अस्पताल प्रबंधन को मामला अपनी ही लापरवाही का नजर आया तो अनन-फनन में अस्पताल प्रबंधन ने एक-दो दिन का समय लेते हुए आखिर आज दावा कर दिया कि खराब पड़ी वॉइस ट्रॉली को दुरूस्थ करा लिया गया है।
जिला अस्पताल में तैनात सर्जन डॉ. सुरेश वशिष्ठ ने बताया कि जिला अस्पताल में तैनाती होने के बाद ही अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में मशीनों की कमियों की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी गई थी, लेकिन 10 माह का समय पूरा होने के बाद भी मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिसके चलते पथरी से संबंधित (पित की थैली) आपरेशन नहीं हो पाए हैं। पथरी से संबंधित आपरेशन के लिए आने वाले मरीजों को हॉयर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल चिकित्साधिकारी डॉक्टर विकास दीप ने बताया कि अस्पताल की खराब पड़ी वॉइस ट्रॉली को आज ठीक करा लिया गया है। यह चिकित्सीय उपकरण पिछले कई माह से खराब चल रही थी।