कवियों ने अपनी अपनी कविताओं से आज के हालत पर डाला प्रकाश
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। विश्व एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बीपी शुक्ल के आवास पर वैश्विक एकता एवं शांति पर बल देती विचार गोष्ठी आयोजित की गयी। आज के परिवेश में विश्व एकता एवं शांति की नितांत आवश्यकता है। वैश्विक शांति के लिए सही दिशा में कार्य करने की बहुत आवश्यकता है, अपने शहर, अपने देश से लेकर पूरे विश्व में चारों तरफ अशांति व्याप्त है। किसी भी धर्म का अनुयायी सबसे पहले परमात्मा की आत्मा व हर आत्मा का परमात्मा एक ही है। अज्ञानवश धार्मिक हिंसा और उन्माद से पूरा विश्व पीड़ित है। वैश्विक शांति के लिए हथियारों की नहीं बल्कि कुरीतियों और हिंसा को रोकने, भेदभाव दूर करने, सत्यज्ञान के प्रचार तथा मानव जीवन के उद्देश्य जानने की आवश्यकता है। विचार गोष्ठी के बाद वसन्त-पंचमी के उपलक्ष में काव्य गोष्ठी का आयोजन भी हुआ।
हिन्दी-उर्दू कवि डॉ. श्याम बनौधा तालिब ने कहा हमको वीणा की वो झंकार दो माँ, बुद्धि दो और ज्ञान का भण्डार दो माँ। डॉ. बीपी शुक्ल ने कहा खुश मन जब उछलता है सितारे आसमाँ के तोड़ धरती को सजा दूं मैं, कली हर एक खिल जाए हवा ऐसी बहा दूँ मैं। पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य का कहना था मन मतंग हो जाये, जीवन धन्य हो जाए। स्वतः सिद्ध होगा मनोरथ, उर शिवालय हो जाये। कवि डॉ. एमसी काला ने कहा देख बदलते चमन को भ्रमित हुआ भ्रमर, लिखा था जिसपर नाम, वह पत्थर बदल गया। कवयित्री लीना बनौधा इंशा ने गुरु महिमा का बखान यूँ किया गुरु बिन राह मिले नहीं, गुरु बिन मिले ना ज्ञान। गुरु मिले समझो मिले,साक्षात् भगवान। गोष्ठी में डॉ अजय, राजकुमार शर्मा आदि ने भी भाग लिया। गोष्ठी का कुशल संचालन एमसी काला ने किया।