सरकार को पैनल से जुडे निजी हॉस्पिटलों पर निगरानी रखने की जरूरत
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। प्रधानमंत्री जनस्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत निर्धनों व असहायों के लिए आयुष्मान कार्ड चिकित्सा सुविधा सराहनीय है। लेकिन इस योजना के अन्तर्गत निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती होंने पर ही आयुष्मान कार्ड लागू होंने की बात कही जाती है। ऐसे में गम्भीर हालत के रोगी को भी स्वार्थवश भर्ती नहीं किया जाता। ऐसे में रोगी से ओपीडी व परामर्श शुल्क तथा अन्य शुल्क लेकर बाहर से कई तरह की महंगी चिकित्सीय जाँचें कराने को कह दिया जाता है। ऐसी गम्भीर परिस्थिति में गम्भीर अवस्था के रोगी न जाँच करा पाते हैं, न इलाज।
इस ह्दयहीन अनुचित स्वार्थपूर्ण अनदेखी में सरकारी योजना का आयुष्मान कार्ड हाथी का दाँत बनकर रह गया है। इलाज कराना रोगी की मजबूरी है, शौक़ नहीं। रोगी चाहे भर्ती हो या नहीं, रोग चाहे गम्भीर हो या मामूली, आयुष्मान कार्ड बिना किसी ना-नुकर के हर हालत में लागू होना चाहिए और कार्ड-धारक रोगी को बिना किसी उलझन में डाले सभी सुविधाएँ व उपचार का लाभ मिलना चाहिएँ। लेकिन प्रकाश में आया हैं कि कुछ निजी व सरकारी हॉस्पिटलों में आयुष्मान कार्ड धारकों से सौतेले या यह कहे कि उनसे दूसरे दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है।
अमूमन देखा जा रहा हैं कि पैनल में शामिल कुछ निजी हॉस्पिटल आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को भर्ती तो कर लेते हैं लेकिन उनके उपचार में घोर लापरवाही बरती जाती है। आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों के किस तरह का उपचार मिल रहा हैं, कोई देखने वाला नहीं है। केन्द्र सरकार की अटल आयुष्मान कार्ड के तहत आम लोगों को 05 लाख का निःशुल्क उपचार देने की व्यवस्था हैं जोकि जनहित में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सराहनीय प्रयास हैं, लेकिन उनके जनहित की योजना को कुछ स्वार्थहितकारी लोग पलीता लगाने में लगे हैं, ऐसे में अटल आयुष्मान योजना के पैनल से जुडे निजी हॉस्पिटलों में सरकार को नजर रखने की जरूरत हैं, जिससे केन्द्र की जनहितकारी योजना फलीभूत हो सके।
डॉ. श्याम बनौधा, विद्यावाचस्पति, हरिद्वार।