■भाजपा से हरिद्वार सीट पर अनिल बलूनी व सूर्या डोभाल का नाम आ रहा सामने
■कांग्रेस के कई नेताओं के नाम हरिद्वार सीट पर दावेदारों से जुडकर बाहर हुए
■अगर निर्दलीय विधायक को टिकट मिला तो कांग्रेसियों का झेलना पड़ेगा विरोध
■कांग्रेस हाई कमान पर भी उठेगे सवाल, क्या पार्टी में कोई जिताऊ नेता नहीं?
■फिलहाल अभी तो सब हवा हवाई की चल रहा, घोषणा होने पर होगी तस्वीर साफ
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। भाजपा और कांग्रेस ने उत्तराखण्ड की तीन सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये है। लेकिन दोनों ही बड़े दलों ने हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अपनी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। दोनों ही दल के शीर्ष नेतृत्व हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों पर गहन मंथन कर रहा है। उम्मीद जताई जा रही हैं कि जल्द ही दोनों ही दल अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देगें। लेकिन दोनों दलों में प्रत्याशियों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। अगर हरिद्वार सीट की बात करें तो शहर के भीतर कांग्रेस के प्रत्याशी को लेकर सोशल मीडिया में लगातार रोज नये-नये प्रत्याशियों के प्रबल दावों की चर्चा आम हो रही है। लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई हैं, वह तो कांग्रेस हाई कमान की प्रत्याशियों के घोषणा के बाद ही तस्वीर साफ हो सकेगी। लेकिन अब सोशल मीडिया में कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की लिस्ट में खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा नाम भी शामिल हो गया है।
सोशल मीडियां में उमेश शर्मा का नाम कांग्रेस द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित किये जाने की दावे किये जा रहे है। लेकिन निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा को लेकर दावे किस की ओर से किये जा रहे है, यह तो कहा नहीं जा सकता। बताया जा रहा हैं कि खानपुर निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा ने कांग्रेस उत्तराखण्ड प्रभारी कुमारी शैलेजा से मुलाकात की थी, इस मुलाकात की फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गयी। जिसके बाद विधायक उमेश शर्मा के कांग्रेस की टिकट के दावेदारों लिस्ट में नाम शामिल होने की चर्चा शुरू हो गयी। अगर सोशल मीडिया के चल रहे दावों पर विश्वास किया जाए तो यह मान लिया जाए कि कांग्रेस के पास हरिद्वार सीट पर कोई जिताऊ प्रत्याशी नहीं हैं या फिर यह कहे कि कांग्रेस हाई कमान को हरिद्वार सीट के लिए अपनी पार्टी में कोई नेता नजर नहीं आ रहा और उसको बाहर से अपने पार्टी के लिए प्रत्याशी लेना पड़ रहा।
बताते चले कि भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने उत्तराखण्ड में तीन सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। दोनों दलों ने जिन सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा की गयी हैं उनमें टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा शामिल है। जबकि हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अभी तक दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। अगर हरिद्वार लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर दोनों दलों को छोड़ कर दो निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए पिछले कई माह से तैयारी में जुटे है। जिनमें खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा और जनता कैबिनेट पार्टी अध्यक्ष भावना पाण्डे शामिल है। दोनों नेताओं ने देहात क्षेत्र में अपने-अपने समर्थकों की अच्छी फौज तैयार कर ली है। अगर शहर क्षेत्र की बात करें तो यदा कदा दोनों नेताओं द्वारा कोई ना कोई कार्यक्रम के द्वारा जनता को अपने साथ जोड़ने का प्रयास जरूर किया गया है। लेकिन दोनों ही नेता शहर की जनता में में अपनी छाप छोड़ने में नाकाम साबित हुए है।
बताया जा रहा हैं कि पिछले कई दिनांे से सोशल मीडिया में कांग्रेस की ओर से कई कांग्रेसी नेताओं के टिकट की दौड़ में आगे-पीछे होने की चर्चा जमकर की जा रही है। सोशल मीडिया में ऐसे नामों के टिकट पाने की दौड़ में आगे होने की चर्चा की गयी, जिनका दौड़ होने की बात को छोड़ो उनका चुनाव लड़ने का मूड तक ही नहीं है। सोशल मीडिया में कांग्रेस प्रत्याशी के दावेदारों की दौड़ में अपने नाम आने पर वह हैरानी भी जता चुके है। चुनावों में ऐसी चर्चा होना आम बात है। लेकिन भाजपा में पांच नामों की चर्चा की जा रही थी, जिनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री, दो संत, नगर विधायक समेत पूर्व सांसद दावेदारों में शामिल हैं। लेकिन भाजपा सूत्रों के माने तो मौजूदा वक्त में एकाएक अब हरिद्वार सीट पर भाजपा टिकट के प्रबल दावेदारों में दो नामों की पार्टी के भीतर काफी चर्चा हो रही है। जिनमें अनिल बलूनी और दूसरा नाम सूर्या डोभाल, जोकि अजीत डोभाल के बेटे है।
सूत्रों की माने तो अजीत डोभाल के बेटे सूर्या डोभाल पिछले दो सालों से हरिद्वार में आरएसएस में सक्रिय रहे है। इन दो को ही भाजपा के प्रत्याशी के तौर में हरिद्वार सीट से प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लेेकिन सूत्रों की दावों में कितनी सच्चाई हैं, भाजपा हाईकमान के घोषणा के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी। लेकिन जब तक भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हो जाती तब तक पांचों दावेदार पूरे दम खम के साथ टिकट हासिल करने की दौड़ में लगे हुए है।
सोशल मीडिया के दांवों की अगर बात करें तो चर्चा की जा रही हैं कि निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा का नाम तो कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर करीब-करीब फाइनल हो चुका हैं, औपचारिक घोषणा बाकी है। अगर ऐसा होता हैं तो उमेश शर्मा के लिए लोकसभा सीट निकाल पाना इतना आसान नहीं होगा, जितना उनके समर्थक व खुद विधायक उमेश शर्मा सोच रहे है। शहर में कांग्रेस पार्टी में कई गुट हैं जोकि एक-दूसरे की टांग खिंचने में लगे रहते है। ऐसे में अगर उमेश शर्मा कांग्रेस का टिकट पाने में कामयाब हो भी जाते हैं तो उनको कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म कर सभी गुटों को एक मंच पर लाना मुश्किल ही नहीं बल्कि उनके लिए नामुकिन होगा। कांग्रेस सूत्रों की माने तो पार्टी हाई कमान मान रहा हैं कि निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा ने कांग्रेस के मुस्लिम वोटरों को अपना समर्थक बना लिया है। यदि चुनाव में उमेश शर्मा कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है। इसी डर से कुछ कांग्रेसी नेता जिनमें हरिद्वार के नेता भी शामिल होेना बताया जा रहा हैं वह सब उमेश शर्मा को टिकट दिलाने की जुगत में लगे है।
अगर कांग्रेस पार्टी हाईकमान विधायक उमेश शर्मा को टिकट थामता हैं तो हाईकमान पर भी सवाल खड़े होगे कि क्या उनकी पार्टी में कोई जिताऊ नेता नहीं या फिर यह कहे कि उनको अपनी ही पार्टी के किसी नेता पर विश्वास नहीं है। अगर सोशल मीडिया में चल रहे दावों पर विश्वास किया जाए, तो खानपुर निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा कांग्रेस से टिकट मिलने पर उनको कांग्रेस नेताओं के विरोध का सामना करना भी पड़ सकता है। देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता हैं अभी तो सब हवा हवाई की चल रहा है। कांग्रेस हाई कमान की घोषणा के बाद अटकलों पर विराम लगतें ही सारी तस्वीर साफ हो जाएगी।