■भाजपा और कांग्रेसी दिग्गजों की पहली पसंद भी हैं हरिद्वार लोकसभा सीट
■वर्ष 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश के बेटे वीरेन्द्र हैं मैदान में
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। हरिद्वार लोकसभा सीट बड़े-बड़े दिग्गजों की पंसददीदा सीट रही है। हरिद्वार सीट से बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती और राम विलास पासवान भी लोकसभा चुनाव लड़कर अपनी किस्मत अजमा चुके है। लेकिन दोनों नेताओं को हरिद्वार लोेकसभा क्षेत्र की जनता नकार चुकी है। इन दोनों नेताओं के बाद तो भाजपा समेत कांग्रेस के दिग्गज भी लोकसभा चुनावी दंगल में उतर कर अपनी-अपनी किस्मत अजमाते आ रहे है। वर्ष 1987 उपचुनाव में तो हरिद्वार की चर्चा राष्ट्रीय पटल पर रही। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र पिछले कुछ समय से राजनीति के शीर्ष लोगों की पसंद बना हुआ है।
वर्ष 2009 से तो यहां पूर्व मुख्यमंत्री ही हाथ आजमा रहे हैं। जिनमें हरीश रावत को एक बार और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को दो बार हरिद्वार के नेतृत्व करने का मौका हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की जनता दे चुकी है। इस बार लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में है। अगर वर्ष 1987 की बात करें तो तत्कालीन कांग्रेस सांसद सुंदरलाल के निधन के बाद हुए उपचुनाव में पूरे देश की निगाह हरिद्वार के चुनाव परिणामों पर टिकी रही। इसका एक कारण तो ये था कि तब उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम केंद्र की राजनीति को प्रभावित करते थे।
उस समय मुख्यधारा की राजनीति के दिग्गज मायावती व रामविलास पासवान भी हरिद्वार चुनाव लड़ने चले आए थे। जिसके कारण तब पूरे चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मीडिया जगत में हरिद्वार लोकसभा सीट सुर्खियों में रही थी। उस वक्त कांग्रेस की लहर थी, कांग्रेसी लहर के कारण कांग्रेस प्रत्याशी राम सिंह के सामने बसपा सुप्रीमो मायावती व राष्ट्रीय दलित नेता रामविलास पासवान को हार का मुंह देखना पड़ा था। उस वक्त के चुनाव में मायावती कुल सात लाख में से सवा लाख वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही। रामविलास पासवान को चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। दस्तावेजों के अनुसार मायावती ने बाद के दो चुनाव भी यहां लड़े लेकिन वह तीसरे-चौथे स्थान पर ही रही।
वर्ष 2009 में उत्तराखंड राज्य के दूसरे लोकसभा चुनाव में चार बार के सांसद हरीश रावत अल्मोड़ा से निराश होकर सुकून तलाशने हरिद्वार चले आए। इस चुनाव में रिटायर होने के तुरंत बाद पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भी आप टिकट पर हरिद्वार से चुनावी समंदर में उतरी। वर्ष 2014 की बात करें तो मुकाबला तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी श्रीमती रेणुका रावत व पूर्व मुख्यमंत्री निशंक के बीच हुआ और निशंक जी ने जीत हासिल की। वर्ष 2019 में भी पूर्व मुख्यमंत्री निशंक को लोकसभा क्षेत्र की जनता ने दोबारा पलकों पर बैठाकर जीत दिलाई।
इसबार वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चुनावी समंदर में है। जिनके सामने कांग्रेसी प्रत्याशी के तौर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेन्द्र सिंह रावत और बसपा प्रत्याशी के तौर पर मौलाना जमील अहमद सामने है। देखते हैं कि वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव किस प्रत्याशी की ओर करवट लेगा। देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम की लहर हैं उसके बावजूद कांग्रेस व बसपा भी अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के दावे कर रही है।