विचार…मंगल और मंगली दोष
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। पं0 विजय कुमार जोशी ने बताया कि शास्त्रों में मंगल ग्रह की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से मानी गयी है धरती पुत्र मंगल वेदों पुराणों में संहारक रुद्र रूप, क्रोधी उग्र गर्म मिजाज का कहा गया है। मंगल की उत्पत्ति भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन में मानी गयी है।
उन्होंने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुख्य रूप से मंगल का प्रभाव रक्त और मज़्ज़ा पर होता है इसी कारण मंगली कुंडली वाले लोग थोड़े गुस्सेल, तुनक मिजाज और कुछ घमंडी होते है व्यक्ति अधिकांश घरेलू कलह आदि विषयों से प्रभावित हो सकता है और मजबूत मंगल की स्थिति शूरवीर , न्याय प्रिय और शुध्द्ध विचारों वाला बनाती है वो कभी किसी का बुरा नही कर सकता और न ही उस पर शत्रु हावी हो सकता है आज बदलते समाजिक परिवेश में मंगल व मंगली दोष को लेकर काफी अवधारणाएं बन गयी है विशेषकर कन्या के मंगली होने पर माता पिता काफी चिंतित व ब्रह्मित रहते है ऐसा नही है इस योग में कन्या विशेष प्रतिभा सम्पन्न होती है मंगली कन्या का शादी के बाद ग्रह क्लेश, तनाव, सास बहू में विवाद तो होता है लेकिन उत्तरोत्तर वृद्धि व सन्तान की तरक्की के लिए अच्छा प्रभाव रहता है और मंगली दम्पति की संतान काफी तरक्की कर कुल गौरव को बढ़ाती है।
पं0 विजय कुमार जोशी जी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12 भावों में मंगल की उपस्थिति जातक को मांगलिक घोषित करती है तथा इसी भाव मे मंगल के साथ शनि, सूर्य, राहू, केतू बैठ जाय तो वो पुरुष या स्त्री द्विगुणी मंगली हो जाती है। मात्र मंगल एकमात्र नकारात्मक ग्रह नही है आमतौर पर यह गलत धारणा है कि मंगली लड़के की शादी मंगली लड़की से ही होनी चाहिए इसका मतलब एक लँगड़ा दूसरे लँगड़े से ही शादी करेगा यह बात तर्क संगत नही है लगभग हर 15 वी कुंडली मे मांगलिक दोष होता है मैने अपने निजी शोध में ग्रह क्लेश, तनाव, दुर्घटना , वाद- विवाद इत्यादि में अधिकांश कुंडलियों में मंगल या मंगली दोष नही पाया और ज्योतिष शास्त्र में भी इसका कोई विशेष उल्लेख नही है ये सिर्फ वर्तमान परिवेश में ज्योतिषियों के दिमाग की गलत सोच है वास्तिविकता में वैवाहिक गठबन्धन में कुंडलिया ऐसी होनी चाहिए जो एक दूसरे का प्रतिभार करती हो दोनों कुंडलियों के ग्रह एक दूसरे की कमी को पूरा करते हो मात्र सप्तम और अष्टम मंगल में विशेष विचार की जरूरत पड़ती है। 70 प्रतिशत कुंडलियों में अन्य ग्रहों की स्थिति, दृष्टि या युति से व अन्य बहुत से ऐसे योग है जहां मंगली दोष का परिहार हो जाता है औऱ मंगल दोष खुद ही प्रभावहीन हो जाता है उनको मंगली नही माना जा सकता।
उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की कुंडली मे मंगल का प्रभाव देखा जा सकता है जन्म नक्षत्र भी मंगल, लग्नेश का स्वामी भी मंगल व राशि का स्वामी भी मंगल है। मंगल चन्द्र की लग्न पर युति भी है जिससे मांगलिक योग बनता है जो वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नही है। दृढ़ इच्छा शक्ति, महत्वकांक्षा व राष्ट्र हित मे मोदी जी ने पत्नी का त्याग किया है एक विशेष परिवर्तन मंगल जहां गुरु के नक्षत्र विशाखा तो गुरु मंगल के नक्षत्र घनिष्ठा में है जिसके प्रभाव से आचरण शुद्ध पवित्र ही होगा व किसी भी स्त्री के प्रति शुद्ध हृदय से मातृत्व भाव से समर्पण रहेगा।
मोदी जी शिव के साथ-साथ शक्ति के भी बहुत बड़े साधक रहे होंगे, इतना अपरिमित यश बिना ईश्वर की कृपा के नही मिलता ये साधना है और साधना शुद्ध और पवित्र आचरण से ही फलकारी होती है मंगल ने ही आज मोदी जी को लोकतन्त्र का चक्रवर्ती सम्राट बनाया। विपक्ष ही नही बड़े बड़े राष्ट्र अध्यक्ष भी शत्रु भाव नही रख सकते यह सर्व विदित है ग्रहों के माध्यम से ही ईश्वर शक्ति का संचार होता है आज मोदी जी का मंगल ही भारत को विश्व नेतृत्व की ओर ले जा रहा है और विरोधी इसे तानाशाही कह रहे है। इसलिए असफलता से सफलता का सृजन कीजिये। निराशा और असफलता, सफलता के दो निश्चित आधार स्तम्भ है। मंगल को मंगल रहने दे, अपने जीवन साथी के जीवन मे अमंगल न बनने दे
पं0 विजय कुमार जोशी
मोती ज्योतिष केंद्र, हरिद्वार
