
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। हरिद्वार में अलग-अलग जगह श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ गोवर्धन पूजन किया गया। गोवर्धन पूजा का बहुत अधिक महत्व है, और इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण और प्रकृति के प्रति आभार और श्रद्धा व्यक्त करने का पर्व है। भगवान कृष्ण की लीला का स्मरण पौराणिक कथा से जुड़ा है जब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों और उनके पशुओं को देवराज इंद्र के प्रकोप से हुई मूसलाधार वर्षा से बचाया था। यह घटना भगवान के भक्तों के प्रति उनके दिव्य संरक्षण का प्रतीक है।
इस पूजा में गौ धन (गायों) की भी पूजा की जाती है। गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, जो अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इस दिन गायों की सेवा करने और उन्हें चारा खिलाने का भी विधान है। गोवर्धन पूजा के दिन ही अन्नकूट उत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजनों या विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों (अन्न, सब्जी, मिठाई) का भोग लगाया जाता है। यह भोग भगवान के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का प्रतीक है।