■सेना और पुलिस प्रशासन के बाद अब ड्रोन का स्वास्थ्य क्षेत्र में होगा उपयोग
■ड्रोन ऋषिकेश एम्स से दवा लेकर जिला अस्पताल की छत पर उतरा
■एम्स हॉस्पिटल से ड्रोन 20 मिनट में दवा लेकर जिला अस्पताल पहुंचा
■आपात की स्थिति में दुर्गम स्थल व मेला पर्वो में ड्रोन मददगार साबित होगा
■ड्रोन 5 किलो वजन की समाग्री लेकर उड़ने में सक्षम, रफ्तार 24 मीटर/सेेकेंड
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। ऋषिकेश एम्स हॉस्पिटल से जिला अस्पताल हरिद्वार में ड्रोन के जारिये दवा पहुंचने का सोमवार को डेमो किया गया। डेमो में एम्स हॉस्पिटल से एक दवा का पैकेट को लेकर अस्पताल की छत पर उतरा। ड्रोन के जरिये भेजे गये दावा के पैकेट को अस्पताल के पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी, चिकित्साधिकारी डॉ. शशिकांत, डॉ. हितेन जगपागी द्वारा प्राप्त किया गया। ड्रोन को उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के लिए एक वरदान माना जा रहा है। उत्तराखण्ड में दुर्गभ क्षेत्रों व हरिद्वार में मेला पर्वो पर श्रद्धालुआंे की भारी भीड़ में जहां पर आपात स्थिति में चिकित्सकों को उपचार के लिए समय पर दवा व अन्य समाग्री न होने की समस्या का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आपात स्थिति में ड्रोन चिकित्सकों के लिए एक सहायक के तौर पर काम करेगा।
चिकित्साधिकारी डॉ. शशिकांत ने बताया कि जिला अस्पताल हरिद्वार के लिए आज गौरव पूर्ण क्षण रहा है। ऋषिकेश एम्स हॉस्पिटल से ड्रोन एक औषधि का पैकेट लेकर जिला अस्पताल की छत पर उतरा, जोकि एक डेमो था। लेकिन भविष्य में उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के लिए ड्रोन मरीजों की जान बचाने के लिए मददगार साबित होगा। हरिद्वार तीर्थनगरी होने के कारण यहां पर आये दिन स्नान मेलों का आयोजन होता रहता है। मेलों में देश-विदेश से लाखों, करोड़ो श्रद्धालुओं को आगमन लगा रहता है। जिससे शहर के भीतर और हाईवे पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में आपात की स्थिति में अगर जिला अस्पताल में भर्ती गम्भीर मरीज के उपचार के लिए दवा, प्लाजा, ब्लड, प्लेट रेट्स़ आदि की आवश्यकता तत्काल पड़ती हैं, ड्रोन की मदद से दवाओं व मरीज के उपचार से जुड़ी आवश्यक चीजों को एम्स से आपूर्ति करायी जा सकती है। ड्रोन केवल हरिद्वार के लिए ही नहीं बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए भी आपात स्थिति में जहां पर मरीजों के लिए उपचार से सम्बंधित समाग्री समय से नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में ड्रोन एक कारगर साबित होगा।
उन्होंने बताया कि एम्स हॉस्पिटल से ड्रोन के द्वारा मात्र 20 मिनट के भीतर 05 किलो बजन की दवाओं को जिला अस्पताल में मंागाया जा सकता है। जिससे मरीजों के उपचार करने में आसानी हो सकती है। अभी तक हम लोगों ने ड्रोन को सेना और पुलिस प्रशासन के लिए मददगार के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन अब उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य विभाग में ड्रोन मरीजों के उपचार के लिए चिकित्सकों का भी मददगार बनेगा। ऋषिकेश एम्स हॉस्पिटल से दवा लेकर जिला अस्पताल की छत पर उतरे ड्रोन से भेजी गयी दवा के पैकेट को पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी, डॉ हितेन जगपागी और वह स्वयं ने प्राप्त किया। जिला अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ. विकास द्वीप ड्रोन के नोडल अधिकारी हैं और डॉ. निशात अंजुम समेत अन्य चिकित्सकों को ड्रोन से सम्बंधित कार्यो की ट्रेनिंग दिलाई गयी है। जोकि भविष्य मे अगर ड्रोन द्वारा दवा व अन्य समाग्री को मांगाया जाता हैं तो यही चिकित्साधिकारी हैंडल करेगें।
ली ड्रोन पायलट धीरज सिंह महर ने बताया कि टेक इंगल ऐनोमिशन न्यू दिल्ली कम्पनी से उत्तराखण्ड सरकार से ड्रोन के जरिये उत्तराखण्ड के विभिन्न अस्पतालों समेत दुर्गम स्थलों पर औषधि व अन्य उपचार से सम्बंधित चीजों को भेजने के लिए टाइअप हुआ है। उनके द्वारा अभी तक पांच हॉस्पिटलों में ड्रोन द्वारा दवा भेजने का डेमो को सफलता पूर्वक किया जा चुका है। जिनमें जिला अस्पताल न्यू टिहरी, जिला अस्पताल चम्बां, कनखल स्थित बंगाली अस्पपाल, ऋषिकेश एक हॉस्पिटल और जिला अस्पताल हरिद्वार शामिल है। ड्रोन के द्वारा 5 किलो वजन की औषधि समेत अन्य उपचार समाग्री भेजी जा सकती है। ड्रोन की रफ्तार 24 मीटर/सेेकेंड है और 120 मीटर ऊंची उड़ान भरने में सक्षम है। ड्रोन एक बार में पहाड़ी क्षेत्रों में 60 किलोमीटर और मैदानी क्षेत्र में 100 किलोमीटर का सफर तय कर सकता है। इस दौरान सिस्टर आशा शुक्ला, ली ड्रोन पायलट सहायक अमित चौहान आदि मौजूद रहे।