■आरटीआई कार्यकर्त्ता और चिकित्सकों की खीचातान से स्वास्थ्य विभाग पेरशान
■आरटीआई कार्यकर्त्ता ने सीएचसी ज्वालापुर में लगाये अनिमित्ताए व भ्रष्टाचार के आरोप
■चिकित्सक व कर्मियों ने अवैध धन मांगने व परेशान करने का लगाया आरोप
■प्रकरण में खानपुर विधायक की एंट्री होने पर राजनैतिक रंग देने का प्रयास
■प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने बिना जांच के स्थान्तरण पर जताई नाराजगी
■बिना जांच के हटाये गये चिकित्साधिकारी के पद पर नहीं होना चाहेगा कोई चिकित्सक काबिजः डॉ. तोमर
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ज्वालापुर में आरटीआई कार्यकर्त्ता और चिकित्सकों के बीच चल रही खीचातानी रूकने का नाम नहीं ले रही है। दोनों पक्षों की खीचातानी अब धरना प्रदर्शन तक पहुंच चुकी है। आरटीआई कार्यकर्त्ता जहां सीएचसी ज्वालापुर में अनिमित्ताओं व भ्रष्टाचार का आरोप मढते हुए चिकित्सकों समेत 08 कर्मचारियों केे खिलाफ स्वास्थ्य निदेशालय से की गयी शिकायत और उच्चाधिकारियों द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुपालन में न्याय संगत कार्यवाही की मांग कर रहे है।
वहीं चिकित्सक व कर्मी भी आरटीआई कार्यकर्त्ता पर अवैध धन मांगने के लिए दबाब बनाते हुए उनकी निजी जानकारी मांगते हुए उनको बेवजह परेशान करने का आरोप मढ रहे है। जिसमेें आरटीआई कार्यकर्त्ता की ओर से खानपुर विधायक की एंट्री हो जाने के बाद सीएचसी अधीक्षक का स्थान्तरण बहादरबाद सीएचसी कर देने पर चिकित्सकों व स्टॉफ में भारी आक्रोश है। जिन्होंने आज से अधीक्षक का स्थान्तरण रद्द करने तथा आरटीआई कार्यकर्त्ता के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार पर चले गये। वहीं दूसरी ओर प्रांतीय चिकित्सा सेवा संध शाखा हरिद्वार ने भी आपात बैठक कर बिना जांच के सीएचसी ज्वालापुर से अधीक्षक का स्थान्तरण करने पर अपनी नाराजगी जताई है। सेवा संघ के रूख ने स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार की परेशानी को बढा दिया है।
आरटीआई कार्यकर्त्ता नवीन अरोड़ा निवासी चौक बाजार ज्वालापुर ने आरोप लगाते हुए बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ज्वालापुर में भारी अनिमित्ताए व भ्रष्टाचार है। जिसको लेकर उनके द्वारा साक्ष्यों के साथ चिकित्सक समेत 08 कर्मियों के खिलाफ शिकायत की गयी थी। जिसके सम्बंध में महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यालय द्वारा अप्रैल 22 को एक पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार को जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ज्वालापुर हरिद्वार में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध प्राप्त जांच आख्या की छायाप्रति संलग्न कर इस आशय से प्रेषित की जा रही हैं कि जांच रिपोर्ट में उल्लेखित समस्त सम्बंधितों की वर्ष 2021-22 की प्रतिकूल प्रविष्टि अंकित करते हुए वार्षिक गोपनीय प्रविष्टिया इस महानिदेशालय को तत्काल उपलब्ध कराते हुए, जांच मे उल्लेखित विवरणनुसार समस्तो के स्थान्तरण हेतु प्रस्ताव इस कार्यालय को उपलब्ध कराये।
उन्होंने बताया कि लेकिन तत्कालीन सीएमओ हरिद्वार इस मामले को गम्भीरता से नहीं लिया। जिन चिकित्साधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी उनको अन्यत्र स्थान्तरण करते हुए उनका प्रमोशन कर दिया। जिसको लेकर उनके द्वारा 01 फरवरी 24 को परिवार के साथ सीएचसी ज्वालापुर के बाहर धना प्रदर्शन दे दिया था। जिसमें खानपुर विधायक उमेश शर्मा भी शामिल हुए, तब जाकर सीएमओ हरिद्वार को भी धरना स्थल पर पहुंचना पड़ा और उन्होंने अश्वासन दिया कि इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए कार्यवाही करेगें। वहीं विधायक उमेश शर्मा ने भी इस मामले में कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया था। जिसके बाद धरना समाप्त कर दिया गया।
सीएचसी ज्वालापुर अधीक्षक डॉ. अमित चौहान ने बताया कि आरटीआई कार्यकर्त्ता नवीन अरोड़ा लगातार सीएचसी ज्वालापुर को टारगेट कर चिकित्सकों व कर्मचारियों की आरटीआई से निजी जानकारी मांगते हुए उनका मानसिक उत्पीड़न कर रहा है। इसी क्रम में आरटीआई कार्यकर्त्ता नवीन अरोड़ा द्वारा भी उनको टारगेट कर उनके खिलाफ अनर्गल आरोप लगाते हुए शिकायत की गयी, जोकि गलत है।
सीएमओ हरिद्वार डॉ. मनीष दत्त द्वारा सीएचसी ज्वालापुर अधीक्षक डॉ. अमित चौहान का स्थान्तरण सीएचसी ज्वालापुर से बहादराबाद सीएचसी कर दिया गया। सीएचसी ज्वालापुर के चिकित्सक व कर्मचारी आज से अधीक्षक का स्थान्तरण रद्द करने तथा आरटीआई कार्यकर्त्ता के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार पर चले गये। इस सम्बंध में सीएमओ हरिद्वार डॉ. मनीष दत्त से सम्पर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। इसलिए उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ शाखा हरिद्वार अध्यक्ष डॉ. यशपाल तोमर ने बताया कि सीएचसी ज्वालापुर प्रकरण पर आज एक बैठक की गयी। जिसमें पूरे प्रकरण को सदस्यों के सामने रखा गया। बैठक में सेवा संघ ने सीएचसी ज्वालापुर अधीक्षक डॉ. अमित चौहान को किसी के भी शिकायत पर बिना जांच किये हटाये जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। अगर ऐसे ही चिकित्साधिकारियों को बिना किसी साक्ष्य और जांच किये बिना हटाया जाता रहा तो चिकित्सकों का काम करना मुश्किल होगा और उनका मनोबल टूटेगा। ऐसे मामलों में बिना किसी ठोस साक्ष्य और बिना जांच के किसी चिकित्साधिकारी को हटाया जाता तो उसके स्थान पर कोई भी चिकित्सक उस पद पर काम करना नहीं चाहेगा।