
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। यह 15 दिनों की वह अवधि है, श्राद्ध, आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, श्राद्ध पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का पर्व है जो लोग पितरों का श्राद्ध करते है उन्हें सभी सुख और भोग प्राप्त होते है और मृत्यु के बाद उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और वे पितृ दोष से भी मुक्त हो जाते है, पितृ पक्ष शुरु हो गया है और इस महालय पक्ष में श्राद्ध कर्म करने से देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण से मुक्ति मिल जाती है, पितृ पक्ष में हरिद्वार के प्राचीन नारायणी शिला मंदिर में अपने पितरों का श्राद्ध करने वालों की भीड़ है और सभी पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे है और उनकी मुक्ति की कामना कर रहे है।
वैसे भी श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध कर्म करने का हरिद्वार और गया और बद्रीनाथ में ही महत्व माना जाता है और इसमे भी हरिद्वार में गंगा किनारे श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व माना जाता है ,पुराणों की मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ धाम से गया सुर नामक राक्षस अपनी मुक्ति के लिए शिला का हरण करके ले जा रहा था कि नारायण भगवान के साथ युद्ध में शिला खंडित हो जाती है और इस शिला का नाभि का हिस्सा हरिद्वार में सिर वाला हिस्सा बद्रीनाथ में और निचला हिस्सा गया में गिरा था, हरिद्वार में जिस स्थान पर यह शिला का भाग गिरा था उस स्थान को नारायणी शिला मंदिर के रूप में जाना जाता है, शिला के नीचे दबकर गया सुर की भी मौत हो गयी थी ,तब भगवान ने आशीर्वाद दिया था कि जो कोई भी इन तीनों स्थान पर अपने पितरों की निमित श्राद्ध कर्म करेगा उसे मुक्ति की प्राप्ति होगी।