
तुम अभय हो -तुम वीर हो,
तुम अशोक हो -तुम धीर हो,
कभी जिंदगी का *अबीर हो,
अदम्य साहस की नजीर हो।।
थके नहीं जो किसी बाधा में,
तुम साहस में अक्ष्य- वीर हो,
तुम न रहीम हो न अमीर हो,
मेरे भारत के सुवीर हो-सुवीर हो।।
जो अपना स्वार्थ यूं सोचे नहीं,
तुम इसी युग के-अब कबीर हो,
आजाद, राजगुरु ,सुखदेव बनते,
इस *विपदा काल में रघुवीर हो।।
जब कोई अंधेरों-गहरों में फंस गया,
तुम अद्भुत कर्मठ -सुधीर हो,
जिसे गिरिराज हिमालय न-गिरा सके,
तुम अदम्य साहस की नजीर हो।।
कभी बाढ़ में जो कोई फंस गया,
तुम नांव सा वृहद -प्राचीर हो,
जो असंभव-लक्ष्य भेदता सदा,
तुम मेरे राम का वो तीर हो ।।
तुम मेरे देश के वो लाल हो,
भारत की स्वर्णिम-जागीर हो,
देश के रितेश हो, कभी कर्मवीर हो,
तुम अदम्य साहस की नजीर हो।।
असंख्य मिथ तोड़े है तुमने
कमलेश,पूर्णिमा तुम शमशीर हो,
कहीं प्यासे को नीर हो,
कहीं टूटे को धीर हो,
अदम्य साहस की नजीर हो,
तुम अदम्य साहस की नजीर हो।
आप सभी को सादर समर्पित
जय हिन्द – जय भारत
डॉ मनु शिवपुरी
कनखल, हरिद्वार