
■सवालः विशालकाय हरे भरे पेड कटान के प्रयास के खेल में आखिर कौन-कौन हैं शामिल?
■चिकित्साधिकारी डॉ. विकास के मामला संज्ञान में आने पर हुआ खेल का खुलासा
■पेड़ कटान की अनुमति के नाम पर पैसे लेने व देने की बात खुद पत्रकार व ठेकेदार ने कबूली
■मामले के तुल पकड़ने पर कथित पत्रकार ने ठेकेदार को किये चैक से पैसे वापस
■पीएमएस व प्रभारी पीएमएस ने पूरे प्रकरण पर अपनी अनभिज्ञता प्रकट कर पल्ला झाड़ा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल हरिद्वार में एक हरे भरे आम के पेड़ को काटने की अनुमति दिलाने के नाम पर पेेड़ कटान ठेकेदार से कथित पत्रकार द्वारा 30 हजार से अधिक पैसे वसूलने का मामला प्रकाश में आया है। अस्पताल में चल रहे पेड़ काटवाने की अनुमति दिलाने के नाम पर चल रहे हरे-हरे नोटों के खेल की जानकारी एक चिकित्साधिकारी के संज्ञान में आने के बाद कथित पत्रकार उर्फ ठेकेदार के अरमानों पर पानी फिर गया। जिसने अस्पताल में खड़े विशालकाय हरे भरे आम के पेड़ काटने की अनुमति दिलाने के एवज में पेड कटान ठेकेदार से पैसे प्रभारी पीएमएस के कहने पर लेने की बात स्वीकार की है। लेकिन प्रभारी पीएमएस ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए प्रकरण से किनारा किया है।
वहीं अस्पताल पीएमएस ने भी पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जाहिर की है। मगर सवाल उठता हैं कि किस के शह पर कथित पत्रकार जोकि अपने को जिला अस्पताल का ठेकेदार प्रचारित करते हुए छोटे मोटे काम भी हासिल करने की बात सामने आ रही है। अस्पताल में पेड़ कटवाने के खेल को लेकर जिला अस्पताल में चर्चा आम हो रही है। इस प्रकरण को लेकर अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा है।
प्राप्त जानकारी अनुसार जिला अस्पताल में करीब 50-60 वर्षो से अधिक पुराना विशालकाय हरा भरा आम के पेड़ जिसपर आम लगते रहे है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से विशालकाय पेड़ की निकली टहनियों की वजह से किसी दुर्घटना की सम्भवना को देखते हुए पेड़ कटवाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए इस सम्बंध में वन विभाग को पत्राचार करते हुए जानकारी मांगी गयी। आरोप हैं कि इसी प्रक्रिया के दौरान एक कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल जोकि अपने को जिला अस्पताल का ठेकेदार प्रचारित करता है, ने पेड कटाने वाले ठेकेदार फारूख खान से सम्पर्क साध कर पेड़ काटने की अनुमति दिलाने का अश्वासन देकर 31 हजार 500 रूपये ले लिये। लेकिन करीब ढाई तीन माह बाद तक ठेकेदार फारूख खान को कथित पत्रकार पेड़ कटाने की अनुमति अस्पताल प्रबंधन से न दिला पाने पर ठेकेदार ने जब कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल पर दबाब डालना शुरू किया तो उसने ठेकेदार का फोन उठाना बंद कर दिया।
बताया जा रहा हैं कि ठेकेदार ने जिला अस्पताल के चिकित्साधिकारी डॉ. विकास दीप का मोबाइल नम्बर हासिल करते हुए पेड़ काटने की अनुमति देने के लिए दबाब देने का प्रयास किया गया। लेकिन चिकित्साधिकारी ने स्पष्ट इंकार कर दिया। जिसपर पेड़ काटने वाले ठेकेदार ने चिकित्साधिकारी डॉ. विकास दीप को बताया कि उसने अनुमति के लिए 30 हजार दिये है। जब पूछा गया कि किसी को पैसे दिये हैं तो उसने कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल का नाम बोल दिया। इस जानकारी चिकित्साधिकारी डॉ. विकास दीप ने राजेन्द्र कुमार जिंदल को फोनकर अस्पताल बुलाया गया। बताया जा रहा जब कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल से पेड काटने की अनुमति दिलाने के नाम पर 30 हजार लेने की जानकारी चाही तो उसने स्वीकार कर लिया। जब पूछा गया कि किस हैसियत व किस के कहने पर पैसे लिए गये।
आरोप हैं कि कथित पत्रकार उर्फ ठेकेदार बताने वाले शख्स राजेन्द्र कुमार जिंदल ने जिला अस्पताल प्रभारी पीएमएस डॉ. आरवी सिंह का नाम लेते हुए बताया कि उनके कहने पर लिए गये। जब चिकित्साधिकारी डॉ. विकास दीप ने पूरे मामले से पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी और प्रभारी पीएमएस डॉ. आरवी सिंह के संज्ञान में डाला गया। बताया जा रहा हैं कि मामला सार्वजनिक होता देख कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल ने 07 मई 27 को पेड़ काटने वाले ठेकेदार फारूख खान को बुलाकर 29 हजार 500 रूपये का एसबीआई का 08 मई 24 को चैक थमा कर मामले का शांत करने का प्रयास किया गया। अस्पताल में पेड काटने के खेल को लेकर अस्पताल चर्चा आम की जा रही है। इस प्रकारण के बाद अस्पताल के स्टॉफ व चिकित्सकों ने सवाल खड़े किये हैं कि आखिर कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल कौन हैं और किस हैसियत व किस के शह पर वह अस्पताल में छोटे-मोटे ठेके लेने का काम कर रहा है। जबकि उसके पास कोई सरकारी ठेके लेने का अनुभव व प्रमाण पत्र भी नहीं है।
चिकित्साधिकारी डॉ. विकास दीप ने बताया कि पेड़ कटाने की अनुमति दिलाने के नाम पर 30 हजार देने की बात खुद पेड काटने वाले ठेकेदार द्वारा उनको फोन पर दी थी। जिस शख्स ने अनुमति दिलाने के नाम पर उनसे पैसे लिए उसका नाम पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल बताया था। जब राजेन्द्र कुमार जिंदल को अस्पताल बुलाकर जानकारी ली गयी तो उसने स्वीकार किया था कि उसने प्रभारी पीएमएस डॉ. आरवी सिंह के कहने पर ठेकेदार से पैसे लिए थे। जिसकी गम्भीरता को देखते हुए उन्होंने उसी वक्त इस जानकारी से पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी और प्रभारी पीएमएस डॉ. आरवी सिंह को अवगत कराया था।
पीएमएस डॉ. सीपी त्रिपाठी ने पेड़ काटने की अनुमति दिलाने के नाम पर कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल द्वारा पैसे लेने के सम्बंध में इधर-उधर की बात करते हुए मामले पर अपनी अनभिज्ञता प्रकट करते हुए पूरे प्रकरण से अपना पल्ला झाल लिया। लेकिन उन्होंने पूरे मामले का अवलोकन करने की बात जरूर कही है।
प्रभारी पीएमएस डॉ. आरवी सिंह ने बताया कि उनको नाम बेवजह पेड़ कटान की अनुमति दिलाने के प्रकरण में घसीटा जा रहा है। जबकि उनका इस प्रकरण से कोई कोसो दूर तक सम्बंध नहीं है। उन्होंने न तो किसी को ठेकेदार से पैसे लेने के लिए बोला और न ही इस सम्बंध में उनको कोई जानकारी है। अगर कोई व्यक्ति उनका नाम ले रहा हैं तो वह झूठ बोल रहा है।
ठेकेदार फारूख खान ने बताया कि उससे अपने आप को पत्रकार बताने वाले जिंदल ने पेड काटने की अनुमति दिलाने के नाम पर ढाई तीन माह पूर्व 31 हजार 500 रूपये लिए थे। लेकिन उसके बाद भी अनुमति नही दिलाई गयी। जब उनके द्वारा एक चिकित्साधिकारी को फोन कर मामले से अवगत कराया गया। जिसके बाद पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल ने उसको 29 हजार 500 का एसबीआई चैक 08 मई 24 का दे दिया। जबकि उसने पत्रकार ने 31 हजार 500 रूपये लिए थे।
स्टोर क्लर्क राहुल कुमार टांक ने बताया कि अपने आप को पत्रकार बताने वाले राजेन्द्र कुमार जिंदल द्वारा पिछले कुछ माह से उसपर पेड़ काटने की अनुमति बनाने के लिए दबाब डाला जा रहा था। लेकिन उनके द्वारा अस्पताल उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद ही कार्यवाही आगे बढाने बात कही गयी थी। लेकिन उसके बावजूद भी जिंदल द्वारा लगातार सम्बंधित ठेकेदार के पक्ष में पेड़ काटने की अनुमति बनाने के लिए दबाब बनाये हुए था।
कथित पत्रकार राजेन्द्र कुमार जिंदल से पूरे प्रकरण की जानकारी लेने के लिए फोन कर सम्पर्क साधा गया। लेकिन उनका फोन रिसिव नहीं हो सका। जिसकारण उनका बयान नहीं लिया जा सका।