
चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ वार्डबाॅय के पक्ष में खुलकर आया सामने
दवा प्रकरण के मुख्य कर्ताधर्ताओं को क्लीन चिट देने का आरोप
कर्मचारी संघ ने की निष्पक्ष जांच की मांग, वरना आंदोलन की चेतावनी
मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर पूरे प्रकरण से करायेगा अवगत
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। दवा प्रकरण मामले में वार्डबाॅय के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य उत्तराखंड खुलकर वार्डबाॅय के पक्ष में खड़ी हो गयी है। कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि पूरे प्रकरण का दोष वार्डबाॅय पर ही मढते हुए उसको ही बलि का बकरा बना दिया है। जबकि प्रकरण के कर्ताधर्ताओं को केवल नोटिस देकर इतिश्री कर ली गयी है। विभागीय अधिकारियो की एक तरफा कार्यवाही पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कर्मचारी संघ मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग करेगा। यदि केवल दवा प्रकरण को वार्डबाॅय पर ही थोपा गया तो कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। इस बात की जानकारी चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेड़ा ने दी है।

दवा प्रकरण को लेकर कर्मचारी संघ की ओर से मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार को पत्र सौप कर कहा गया हैं कि वार्डबाॅय अजय कुमार को अपराधी बना दिया गया है, जबकि मुख्य कर्ताधर्ताओं को लापरवाही का नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई है। जबकि विभाग द्वारा जारी नोटिस का जबाब भी सिर्फ वार्ड बाॅय ने दिया है। जिनके द्वारा सारे कांड का चक्रव्यूह रचा गया, उन्होंने अभी तक जबाब देना भी उचित नहीं समझा है। प्रदेशाध्यक्ष दिनेश लखेड़ा ने चेतावानी दी हैं कि अगर प्रकरण में निष्पक्ष जांच नहीं हुई और केवल वार्डबाॅय को ही फंसाया गया तोे संघ आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
उन्होंने कहा हैं कि संगठन को निर्णय लेना पड़ेगा कि अब कर्मचारी मौखिक रूप से अपने अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं करेगा। क्योंकि मौखिक रूप के आदेश के बाद ही वार्डबाॅय की यह स्थिति हुई है, इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर स्वास्थ्य विभाग के भेदभाव पूर्ण रवैये के अपनाने की जानकारी देते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का शोषण करने के सम्बंध में अवगत कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी ओर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का शोषण किया जा रहा है, सेवानिवृत कर्मचारियों की एक वर्ष के लगभग से पेंशन नही बन रही है, जोकि कार्यालय के धक्के खा रहे हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियुक्ति को साल-साल हो जा रहा है, उनकी ना तो नियुक्ति हो रही है और ना ही उनके देयक निकाले जा रहे हैं। चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान, कर्मचारियों के यात्रा भत्ता बिल, वर्दी इत्यादि नहीं दी जा रही है, कोई भी बोलने वाला नही है। संघ ने निर्णय लिया है, अगर मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार द्वारा वार्ता कर इन सब समस्याओं का निस्तारण नहीं किया जाता है, तो उनके कार्यालय के बाहर आंदोलन किया जाएगा। जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय और प्रशासन का होगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार को दिए गए पत्र में यह भी कहा गया है कि बिना प्रभारी फार्मेसी और चिकित्सा अधीक्षक की मर्जी के बिना अजय कुमार वार्डबाॅय या चिकित्सा अधिकारी डा आर्य दो गाड़ियों में दवा नहीं ले जा सकते थे। उन अधिकारियों पर अभी तक कोई एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई? आरोप लगाया कि दवा प्रकरण में सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है।