■मान्यता हैं कि मंदिर में इन्द्र देव ने अपना खोया राजपाठ पाने के लिए की थी तपस्या
■स्थानीय व विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का हैं आस्था का केन्द्र, दर्शन के लिए लगी रहती भीड़
■नवरात्रों में श्रद्धालुओं का लगी रहती हैं भीड़ और मां की आशीवार्द से चलते हैं भण्डारे
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। भेल से सटे औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के पास सूरकूट पर्वत के जंगलों के बीच मां सुरेश्वरी देवी जी का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मां सुरेश्वरी देवी जी का मंदिर में स्थानीय ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शनार्थ लगी रहती है। वैसे तो राजाजी टाइगर रिजर्व के बीच स्थित अन्य लगभग सभी मंदिरों में जाने पर रोक है। लेकिन पौराणिक महत्व के इस मां सुरेश्वरी देवी के मंदिर में आज भी लोग सहजता से आते जाते हैं। हालांकि रात में मंदिर में रुकने की अनुमति चंद लोगों को छोड़ किसी को नहीं है, यहां आने-जाने वालों पर राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन की कड़ी नजर रहती है।
सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, यह मंदिर देवी दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित इकलौता मंदिर बताया जाता है। इस मंदिर को मां की एक सिद्धपीठ के रूप में भी जाना जाता है। भेल रानीपुर के घने जंगलों में सिद्धपीठ मां सुरेश्वरी देवी सूरकूट पर्वत पर कई सौ सालों से विराजमान हैं। इस मंदिर का अपना ही पौराणिक महत्व है। जिसका उल्लेख स्कन्द पुराण में भी मिलता है। बताया जाता हैं कि इंद्र देव ने सूरकूट पर्वत के इस स्थान पर कठोर तप किया था। भगवान विष्णु द्वारा इंद्र को बताया गया था कि अगर आप गंगा जी के पश्चिमी भाग में स्थित सूरकूट पर्वत पर जहां महामाया देवी भगवती विराजती हैं। उस स्थान पर तप करें, तो आपकी परेशानी दूर होगी। उन्होंने यहां पर तप किया था, जिसके बाद उनका खोया राज सिंगहासन वापस मिला था। इंद्र का नाम सुरेश था, इसी कारण इस स्थान का नाम सुरेश्वरी देवी पड़ा।
सिद्धपीठ मां सुरेश्वरी देवी समिति के मंत्री आशीष मारवाड़ी ने बताया कि इस सिद्धपीठ की मान्यता को न्यायालय ने भी माना और शाम पांच बजे तक मन्दिर खोलने की अनुमति दी गई है। मन्दिर घने जंगल के बीच घिरा होने के कारण जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन यह जानवर कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, मां की सवारी शेर को भी मंदिर के आस-पास देखा गया है। नवरात्रि के दिनों में मां सुरेश्वरी देवी जी का मंदिर में श्रद्धालुओं को भारी भीड़ रहती हैं और प्रतिदिन भंडारा चलता है साथ ही नवमी के दिन यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।
श्री सुरेश्वरी देवी मंदिर की व्यवस्था के लिए एक प्रबन्धक समिति हैं जोकि मन्दिर की व्यवस्था को सम्भालती है। श्री सुरेश्वरी देवी मंदिर प्रबन्धक समिति रजि.ज्वालापुर के प्रधान नंदकिशोर शर्मा, मंत्री आशीष मारवाड़ी, उपाध्यक्ष कमलेश सक्सेना के साथ-साथ राकेश शर्मा, निशांत विद्याकुल, अभिनव कीर्तिपाल, वैभव शर्मा, विजय वर्मा, विक्की शर्मा शामिल है।