
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। सेव इंडियन फेमली फाउंडेशन (SIFF) द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेने के लिए पूरे भारत से मेन्स राइट एक्टिविस्ट दिल्ली में एकत्र हुए। बैठक से हरिद्वार लौटे उत्तराखंड SIFF प्रमुख प्रकाश चंद्र और एक्टिविस्ट अभिषेक शर्मा द्वारा पत्रकारों को बताया गया कि देहरादून, रुड़की, सहारनपुर आदि अन्य जिलों से भी कई पुरषो ने बैठक में भाग लिया बैठक में बड़ा सवाल ये रहा कि महिलाएं पुरुषों पर बोझ क्यों हो गई है ? प्रकाश चंद्र द्वारा निम्न बातों पर प्रकाश डाला गया कि नारीवाद हमेशा की तरह केवल महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में ही बात करता है परिवार और समाज के नहीं। आज भारतीय पुरुष पछपाती और महिला केंद्रित कानून के साथ साथ समाज के दबाव से पीड़ित है शादी करने जा रहे पुरुष से ये उमीद की जाती है कि वह कड़ी मेहनत करे और अपनी पत्नी , परिवार और बच्चों का पालन पोषण करे, बिना किसी उमीद की। कहा जा सकता है कि महिला एक बोझ है। पिछले साल 498A और दहेज विरोधी कानून के तहत लगभग 125000 मामले दर्ज कराए गये। लाखो शादियां टूट गई । 25 – 35 वर्ष के कम आयु वर्ग में तलाक की दर में इजाफा हुआ है। तथा नए पुरुष वर्तमान परिस्थिति देख कर शादी से कतरा रहे है तथा लिवइन रिलेशनशिप को भड़ावा देने वाली सोच भड़ रही है। सेव इंडियन फेमली फाउंडेशन (SIFF) भारत में पुरुषों के अधिकारों के लिए अग्रणी गैर सरकारी संगठन है घरेलू हिंसा , 498A तथा झूठे केस के मामलों से पीड़ित पुरषो के लिए हेल्पलाइन (91-9278978978) चल रहा है। 21 से 23 फरवरी 2020 को उच्च स्तरीय सम्मेलन में पुरषो को आगे आकर समस्याए बताने के लिए प्रेरित ओर जागरूकता अभियान चलाया। सरकार को संदेश पहुचाया ओर मांग रखी की वह लिंगभेद के कानून को सुधरे।