
लीना बनौधा
हरिद्वार। ज्योतिषाचार्य पं. विजय कुमार जोशी ने बताया कि मनुष्य जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता है, हिन्दू धर्म पुनर्जन्म के सिद्धांत को मानता है हिन्दू धर्मानुसार जीवन एक चक्र है जो हमारे कर्मो से हमारा प्रारब्ध बनाता है इस चक्र से निकलने को ही मोक्ष कहते है, ऐसा माना जाता है कि 84 लाख योनियों भोगने के बाद मनुष्य योनि मिलती है एक जिज्ञासा है संस्कार, पिंड इत्यादि क्रिया तो मनुष्य की होती है तो फिर पशुओं को मृत्यु के बाद मुक्ति कैसे मिलती है मेने 25 वर्ष के ज्योतिष के अनुभव में करीब सात परिवार ऐसे देखे। जिनके बच्चो को अपने पुनर्जन्म की स्मृति थी उन सब ने अपने को मनुष्य ही बताया किसी ने कोई जानवर नही बताया, हालांकि ये स्मृति 7 या 8 वर्ष बाद लुप्त हो जाती है, जबकि बुद्ध की जातक कथाओं में कयी ऋषि-मुनियों ने अपने पूर्व जन्म में हाथी, घोड़ा, हंस होने का वृतांत सुनाया। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये सब कुंडली से पता चल जाता है कुंडली मे लग्नेश, पंचमेश, नवमेश का शुभत्व व अशुभत्व एवम आत्मकारक ग्रह इसका स्पष्ट संकेत दे देता है। इसके लिये कुंडली मे कर्म भाव, चेतना व सुख- दुख को समझना पड़ेगा। वेद, उपनिषद, गीता के अनुसार 8 तरह की गतिया पायी गयी है ये काफी लंबा विषय है परन्तु 3 तरह की गतिया मुख्य है..
1..ऊर्ध्व गति 2..स्थिर गति. .3..अधोगति
जो व्यक्ति मरकर ऊर्ध्व गति को प्राप्त होता है उसकी आत्मा देवलोक को गमन करती है ये बड़े पुण्यात्मा होते है औऱ विशेष सिद्ध योग में अपनी इच्छा शक्ति से ही प्राण त्यागते है। इस प्रकार के मनुष्य की कुंडली मे लग्नेश, पंचमेश व नवमेश उच्च के होकर अत्यंत शुभ व योग प्रद होते है।
2.स्थिर गति में मृत्यु होने से वह मनुष्य फिर से मनुष्य योनि में आएगा ये वो व्यक्ति होते है जो निस्वार्थ भाव से समाज और राष्ट्र की सेवा करते है, जो दायित्व ईश्वर ने मनुष्य को दिया उसका निस्वार्थ पालन करते है। मृत्यु समय दायित्व कुछ और सेवा की कल्पना मन मे रह जाये ऐसे व्यक्तियों का पुनर्जन्म मनुष्य योनि में ही होता है कहा गया जैसी गति वैसी मति।
3..अधोगति में मनुष्य मनुष्य योनि में आकर भी मनुष्यता से भी नीचे गिर जाता है नीच से नीच कर्म करता है। ऐसे कर्म जो मनुष्य जाती को ही कलंकित करते है घृणित आचरण, छोटी बच्चियों से बलात्कार, हत्या और भी अन्य पाप जो निजी स्वार्थ में करते है उन्हें कभी मनुष्य योनि नही मिलती यदि नीचता ओर कुकर्म और भी अधिक हो तो पशु योनि से भी नीचे जाता है
इस लिए जब ईश्वर ने हमे मनुष्य जीवन देकर इस संसार में भेजा है तो कम से कम इन गतियों का ध्यान अवश्य रखे और कोशिश करे, स्थिर गति रहे इन सबका ग्रह- योग स्पस्ट संकेत देते है।
पं0 विजय कुमार जोशी
मोती ज्योतिष केंद्र हरिद्वार
मोबाइल—9837319992