सीमा बनौधा
हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार में सावन के पहले सोमवार पर सभी शिवालयों पर श्रद्धालुओं का तड़के से ही जलाभिषेक व पूजा अर्चना के लिए तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने शिव शंकर का जल, पंचामृत से अभिषेक करते हुए बेल पत्री, फूल, धतुरा, फल और मिष्ठान से पूजा अर्चना करते हुए परिजनों समेत अपने शुभ चिंतकों की कुशलता की कामना की।
कनखल की दक्ष नगरी की अगर बात करें तो दक्षेश्वर महादेव मन्दिर में भी स्थानीय व विभिन्न प्रांतों से आये श्रद्धालुओं समेत कांवडियों का पूजा अर्चना व जलाभिषेक के लिए तांता लगा रहा। उपनगरी कनखल एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जिसे भगवान शिव का ससुराल माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष ने कनखल को अपनी राजधानी बनाया था और यहीं पर देवी सती का जन्म हुआ था, जो बाद में भगवान शिव की पत्नी बनीं।
कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर, भगवान शिव और देवी सती के विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर में एक कुंड है, जिसे सती कुंड कहा जाता है। मान्यता है कि देवी सती ने इसी कुंड में यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्यागे थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सावन के महीने में अपने ससुराल कनखल में निवास करते हैं। अगर हम सुरक्षा की बात करे तो प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे।
प्रसिद्ध प्राचीन होने के साथ-साथ लाखों श्रद्धालुओं को सावन के महिने में जलाभिषेक करने के लिए यहां पहुंचते है। जिनमें कांविडयों की संख्या सावन में अधिक होती है। इसलिए मन्दिर व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए डॉक स्क्वायड समेत पैरामिलिट्री फोर्स प्रतिदिन दो बार सघन चैकिंग अभियान चलाती है।
