संजय श्रीवास्तव
देहरादूनl नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे है l नबीन को अध्यक्ष बना कर पहले तो भाजपा ने कायस्थओं का अपना पारंपरिक वोट जो बिखर रहा था, उसे संजोने का काम तो किया ही साथ ही राजनितिक दृष्टि से पश्चिम बंगाल के आने वाले चुनाव को भी साधने का काम किया है l बंगाल में विधानसभा का चुनाव प्रस्तावित है जहाँ कायस्थ वर्ग की काफी संख्या है।
बंगाल में सबसे अधिक समय तक सीएम रहने वाले ज्योति बसु भी कायस्थ थे। ऐसे में बीजेपी के इस युवा नेता पर दांव खेलने को मिशन बंगाल से जोड़कर देखा जा रहा है। नबीन बेहद युवा और साफ छवि के नेता हैं। बंगाल के अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों में जब वह लोगों के बीच जाएंगे तो सवर्ण वोटरों में बीजेपी की अपील और बढ़ेगी। अगर ऐसा हुआ तो बंगाल में गेम पलट सकता है। फिलहाल नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैंl
पश्चिम बंगाल में कायस्थ वर्ग के लोग मित्रा, बोस, घोष, दत्ता, पालित, नंदी, गुहा, चंद्रा, धर और सिल सरनेम लिखते हैं। स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंदो, सुभाष चंद्र बाेस भी कायस्थ थे। नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने बंगाल चुनावों से पहले दांव खेल दिया है। बिहार में विधान सभा चुनाव संपन्न होने के बाद भी वहां से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने चौंकाया है, लेकिन बंगाल के लिए बड़ा संदेश है, क्योंकि बंगाल के उच्च वर्ग में कायस्थओं की काफी अच्छी पकड़ है। इस वर्ग की वही भूमिका है जो गुजरात में पाटीदार यानी पटेलों की है।
यह वर्ग न सिर्फ शिक्षित है बल्कि आर्थिक तौर पर भी सशक्त है। इसलिए भाजपा की यह रणनीति दूरगामी के साथ स्थायित्व भी लग रही है क्योंकि हिंदुस्तान में कायस्थ जाति के लोग पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक मजबूत और बहुतायत में है ऐसे में कहा जा सकता है की यह एक निर्णय आने वाले अनेको चुनाव में अपनी भूमिका अदा करेगा l
वैसे भाजपा की परम्परा रही है जो कार्यकारी अध्यक्ष होता है वही आगे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाता है तो कह सकते है की भाजपा को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल गया है बस औपचारिकता शेष है l
