
एसटीएफ व पुलिस की संयुक्त टीम ने ज्वालापुर में मारा था छापा
नशा माफिया के खुलासे के बाद दोनों कांस्टेबल को था दबोचा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। स्मैक का अवैध धंधा संचालित करने वाले गिरोह को सहयोग करने के आरोपी दो पुलिस कर्मियों की जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट, चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश भारत भूषण पांडे ने खारिज कर दी है।
शासकीय अधिवक्ता कुशलपाल सिंह चौहान ने बताया कि एसटीएफ व एडीटीएफ उत्तराखंड प्रभारी निरीक्षक शरद चन्द गुसांईं को मार्च 2021 को ज्वालापुर क्षेत्र में बड़े स्तर पर स्मैक के अवैध व्यापार की गोपनीय सूचना मिली कि आरोपी राहिल पुत्र मुस्तफा व सत्तार पुत्र असगर अन्य लोगों के साथ मिलकर अवैध मादक पदार्थों का व्यापार कर रहे हैं। प्रभारी निरीक्षक ने मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में डालते हुए उनसे अनुमति लेकर उक्त सभी लोगों के मोबाइल की सीडीआर निकाली गयी।
सीडीआर में मुख्य आरोपी सत्तार की देखरेख एक संगठित गिरोह एक महिला की मदद से मादक पदार्थों का अवैध व्यापार करने का खुलासा हुआ था। 21 अप्रैल 2021 में पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी सत्तार अपने साथियों के साथ स्मैक का धंधा को संचालित कर रहा है। जिसपर प्रभारी निरीक्षक ने तीन टीमें गठित करते हुए आरोपी राहिल के घर पर छापेमारी की गयी, जहां से टीम को उसके घर से 189 ग्राम स्मैक बरामद हुई।
मौके पर पकड़े गए आरोपी राहिल ने पूछताछ के दौरान टीम को गिरोह का मुखिया सत्तार तथा महिला गंगेश आदि सहित दो पुलिस कर्मियों अमजद पुत्र इकबाल निवासी ग्राम तेलीवाला थाना डोईवाला देहरादून हाल तैनात कोतवाली ज्वालापुर व एंटी नारकोटिक्स सैल में तैनात रईस राजा पुत्र मौहम्मद इदरीस निवासी नया नगर गांधी रोड देहरादून के नामों का खुलासा किया था।
आरोपी ने बताया था कि दोनों कांस्टेबलों पर उनको सहयोग करते हुए पुलिस विभाग की सूचनाए उन तक पहुंचाने का काम करते थे। दबोचे गये आरोपी की निशानदेही से अन्य आरोपियों को गिरफ्रतार कर जेल भिजवा दिया था। दोनों कांस्टेबलों की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को निरस्त कर दिया।