15 अगस्त को मिले सम्मान में भी भेदभाव का लगाया आरोप
लीना बनौधा
हरिद्वार। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उत्तराखंड को मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद आज तक चतुर्थ श्रेणी कर्मियों, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मियों को प्रोहत्साहन भत्ता नही दिया गया। जबकि चिकित्साधिकारियों और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रोहत्साहन भत्ता के आदेश जारी हो गए हैं। जिससे स्वास्थ्य विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मियों में घोर निराशा है और आक्रोश व्याप्त हो रहा है जो कभी भी आंदोलन का रूप ले सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेडा, महामंत्री सुनील अधिकारी, प्रदेश उपाध्यक्ष नेलसन अरोड़ा और प्रवक्ता शिवनारायण सिंह ने सयुंक्त रूप से कहा कि स्वास्थ्य विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के साथ हमेशा से अन्याय ही होता आ रहा है, पहले पदोन्नति नहीं की गई, अब मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद सम्मान के रूप में जो प्रोहत्साहन भत्ता दिया जाना है वो नही मिल रहा। जबकि कोरोना डयूटी में कोरोना रोगियों की सेवा की बात आई तो सबसे पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मियों, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मियों ठेका सफाई कर्मियों को ही वार्ड में रोगियों की सेवा के लिए भेज गया। जिसे कर्मचारियों ने अपनी जान पर खेलकर रोगियों की सेवा की, अब सम्मान की बात आई तो उनका कहीं नाम नही जो कि दुःखद और अन्यायपूर्ण है और मुख्यमंत्री के आदेशों की अवेहलना है।
प्रदेश आडिटर महेश कुमार, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश पंत और जिला मंत्राी राकेश भँवर ने सयुंक्त रूप से कहा कि कोरोना महामारी में कोविड वार्ड के साथ साथ जिला चिकित्सालय, रक्तकोष, सामुदाय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के फील्ड कर्मचारियों ने भी कार्य किया है साथ ही आयुर्वेद के कर्मचारियों ने भी कोविड महामारी में कार्य किया है। हरिद्वार के दोनों राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में कोविड वार्ड बनाये गए थे, किंतु उनको भी सम्मान नही दिया गया वो भी सम्मान के हकदार हैं, कई जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने कर्मचारियों के नाम भेजे ही नहीं और मुख्यमंत्री से जो 15 अगस्त को सम्मान मिला था। उसमे भी अपने अपने खासम खास कर्मचारियों को ही जगह दी गई। जिन कर्मचारियों ने कार्य किया था उनको सम्मान नही मिला, जोकि किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है।
