
*अस्पताल में गैर जरूरी कार्यो को कराने व उपकरण खरीदने में किया राजस्व का नुकसान
*प्रभारी पीएमएस की कार्यशैली पर उठ रहें सवाल, अस्पताल व शहर में हो रही चर्चा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल हरिद्वार के ध्वस्तीकरण के आदेश आने के बाद जिस तरीके से विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर कराये गये गैर जरूरी कार्यो और अन्य उपकरण के खरीदने में जो खर्च कर राजस्व की बर्बादी की गयी। उसको लेकर ना केवल जिला अस्पताल के स्टॉफ बल्कि अस्पताल की जानकारी रखने वालों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसको लेकर अस्पताल के चिकित्साधिकारी की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।

जबकि जो कार्य जनहित में किये जाने चाहिए थे, उनको दरकिनार किया गया। अब जबकि अस्पताल की ध्वस्तीकरण की कार्यवाही अमल में लाई जा रही है। जिसके चलते 11 अगस्त 25 से जिला अस्पताल में संचालित होने वाली इमरजेंसी सेवाओं को जिला उप मेला चिकित्सालय में स्थानानरित किया जा चुका है। सम्भवतः जन्माष्टमी के बाद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू हो सकती है। ऐसे में अस्पताल के प्रभारी पीएमएस द्वारा विवेकाधिकार का गलत इस्तेमाल करते हुए कार्यो को कराना और जरूरत सें अधिक उपकरण की खरीददारी करना केवल राजस्व की हानि को दर्शा रहा है।
जिला अस्पताल हरिद्वार लम्बे समय से किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में बना रहा है। यहां पर हम उन मामलों का उठाना जरूरी नहीं समझते, क्योंकि जिन आरोपों को लेकर अस्पताल सुर्खियों में रहा हैं उन आरोपों को लेकर जिला अस्पताल मीडियां में सुर्खियों में रहा है। जिला अस्पताल की स्थिति जर्जर हालत में यह बात किसी से छुपी नहीं है। जिला अस्पताल की हालत को देखते हुए बडी दुर्घटना की सम्भावना जताई जाती रही हैं। जिसका संज्ञान लेते हुए महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखण्ड देहरादून की ओर से 13 मई 25 को सीएमओ हरिद्वार को जिला अस्पताल हरिद्वार के भवन को ध्वस्तीकरण व पुननिर्माण होने तक जिला अस्पताल को अस्थायी रूप से संचालित करने के सम्बंध में पत्र लिखा जा चुका है।
बताया जा रहा हैं कि शासन की ओर से भी जर्जर हालत में चल रहे जिला अस्पताल के भवन के ध्वस्तीकरण व पुननिर्माण के सम्बंध में हरी झंडी मिल चुकी है। लेकिन उसके बावजूद जिला अस्पताल के चिकित्साधिकारी द्वारा अपने विवेकाधिकारी का गलत इस्तेमाल करते हुए गैर जरूरी कार्यो को कराया गया। इतना ही नहीं चार नये एसी भी खरीदे गये। बताया जा रहा हैं कि जबकि ओटी के लिए दो एसी की जरूरत थी, मगर चार नये एसी खरीदे गये। जिनमें दो एसी ओटी के अलावा खरीदे गये उनमें एक एसी तो मौजूदा प्रभारी पीएमएस के ओपीडी में लगाया गया, जबकि दूसरे एसी का पता नहीं कहा लगाया गया है।
जबकि जानकारों का कहना हैं कि दूसरा एसी एक क्लर्क के कमरे में लगाया गया है। जहां से अस्पताल प्रभारी पीएमएस द्वारा जारी निर्देश पर खरीदारी करने और बिल पास करने का जिम्मेदारी हैं। इसके अलावा भी दो डेटा ऑपरेटरों के अस्थाई केबिन का चौडीकरण कराया गया और वहां पर भी एसी लगाया गया है। अस्पताल के चिकित्सकों व स्टॉफ का कहना हैं कि केबिन का चौडीकरण करना और वहां पर एसी लगाने की जरूरत नहीं थी, लेकिन चिकित्साधिकारी का इस ओर लिया गया निर्णय बेतुका है।
जबकि अस्पताल के भवन के ध्वस्तीकरण व पुननिर्माण के आदेश आ जाने के बाद, ऐसे कार्यो को कराना और खरीदारी करने में राजस्व की बर्बादी करना किसी को समझ नहीं आ रहा है। बताया जा रहा हैं कि ऐसे ही कई कार्य जिला अस्पताल में ध्वस्तीकरण के आदेश आने के बाद कराये गये, जोकि समझ से परे है। जिला अस्पताल में ध्वस्तीकरण के आदेश आने के बाद जिन कार्यो में खर्च किया, उसको राजस्व का नुकसान बताया जा रहा है।



