उपचार के लिए सरकारी व निजी हाॅस्पिटल पड़ा जाना
सड़क दुर्घटना में एक की मौत, दो हाॅयर सेंटर हुए रेफर
पीडितों को पुलिस की चिट्ठी के लिए इधर से उधर दौड़ाया
सीएमओ को मेडिकल के सम्बंध में दिशा निर्देश देने की जरूरत
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। होली पर्व पर जगह-जगह हुई मारपीट में दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये। जोकि उपचार के लिए मेला अस्पताल व निजी हाॅस्पिटल पहुंचे, जहां पर उनको उपचार कराने के लिए अपनी बारी का घंटो इंतजार करना पड़ा। वहीं सड़क दुर्घटना में भी कई युवक चोटिल हुए है। जिनको उपचार के लिए उक्त हाॅस्पिटल में पहुंचकर उपचार कराना पड़ा।
सड़़क दुर्घटना में हाईवे पर अलग-अलग क्षेत्रों में दो युवक गम्भीर रूप से घायल हो गये। जिनको उपचार के लिए 108 की मदद से मेला अस्पताल लाया गया। जहां पर उनकी हालत देखते हुए उनको हाॅयर सेंटर रेफर कर दिया। जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। जबकि बहादराबाद क्षेत्र में दिल्ली के यात्रियों की एक कार डिवाइडर से टकराने पर एक की मौत हो गयी। जबकि अन्य घायलों को उपचार के लिए बहादराबाद स्थित निजी हाॅस्पिटल में भर्ती कराया गया।

पंचपुरी में होली पर्व की पूर्व संध्या पर चुटपुट मारपीट की घटनाएं प्रकाश में आती रही। जिनको क्षेत्र के मौजिजों द्वारा हस्तक्षेप कर शांत कराया गया। लेकिन होली पर्व पर नशे में धुत नशेड़ियों ने जगह-जगह उत्पात मचाते हुए लोगों से मारपीट के मामले सामने आ रहे है। कई क्षेत्रों में तो महिलाओं व बच्चों के साथ भी मारपीट की जानकारी सामने आयी है। जिनको मेला अस्पताल पहुंचकर अपना उपचार व मेडिकल कराने के लिए भटकते देखा गया।
बताया जा रहा हैं कि मेला अस्पताल से मेडिकल बनाने वालों को थाने व चौकी से पुलिस की चिट्ठी लाने को कहा गया। जिसपर पीडित थाना-चौकी के चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस ने उनको मेडिकल के लिए चिट्ठी देना भी मुनासिब नहीं समझा। जिसपर उनकी पीड़ा उनके चेहरे पर साफ छलकते हुए देखा गया। पीडितों ने मेला अस्पताल में चिकित्सक व स्टाॅफ के आगे मेडिकल बनाने के लिए मदद के लिए गिडगिड़ाते देखा गया।
जबकि प्रावधान हैं कि अगर पुलिस किसी पीडित को मेडिकल के लिए चिट्ठी नहीं देती तो उनसे एक पत्र लेकर उनको निजी तौर पर मेडिकल देने की सुविधा है, जिसके एवज में मेडिकल फीस ले ली जाती है। लेकिन उसके बावजूद सरकारी अस्पताल में इस बात की जानकारी पीडित को नहीं दी जाती और चिट्ठी लाने के लिए दौड़ाते हुए परेशान किया जाता है। प्रशासन को पीडितों की परेशानी को देखते हुए सीएमओ को इस सम्बंघ में दिशा निर्देश दिये जाने की जरूरत है।
मगर कई बार पीडित को पुलिस थाना या चौकी से मेडिकल से चिट्ठी ना मिलने पर उनको सरकारी अस्पताल से चिट्ठी लाने के लिए जोर देकर बेवजह परेशान किया जाता रहा है। जबकि पुलिस की चिट्ठी मिलने के बाद भी यदि सिपाही पीडित के साथ नहीं आता तो सरकारी अस्पताल द्वारा मेडिकल की फीस पीडित से वसूली जाती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीडित को पुलिस चिट्ठी के लिए ना दौड़ाये और सरकारी अस्पताल में खुद पीडित से चिट्ठी लेकर मेडिकल बनाने का प्रावधान हैं तो पीडित को पुलिस चिट्ठी के लिए क्यों परेशान किया जाता हैं? इस बात का संज्ञान प्रशासनिक अधिकारियों को लेते हुए सीएमओं को इस सम्बंध में दिशा निर्देश दिये जाने की जरूरत है।
