
कर्मचारी व संगठन विरोधी गतिविधियों के चलते की गयी कार्यवाही
मुकांशी रघुवंशी व दीपक धवन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उत्तराखंड ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात तीन कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की गयी है। जिनमें मनोज चंद को छह सालों के लिए संगठन से निष्कासित किया गया है। जबकि मुकांशी रघुवंशी ने संगठन से और दीपक धवन ने प्रदेश उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया गया है। संघ ने मनोज चंद को कर्मचारी व संगठन विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाने पर संघ ने कडी कार्यवाही की है। जबकि मुकांशी रघुवंशी और दीपक धवन का मामला अनुशासन समिति को अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए भेजा गया है।
प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेडा, प्रदेश आडिटर महेश कुमार, वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष गिरीश पंत और प्रदेश उपाध्यक्ष नेलसन अरोड़ा ने सयुंक्त रूप से बताया कि संगठन द्वारा आज मनोज चंद चपरासी, मुकांशी चपरसी जोकि संगठन के सदस्य नहीं है उनके द्वारा आचार संहिता और कोविड काल में बिना मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी की अनुमति के बिना संयोजक मंडल का गठन किया गया जोकि असंवैधानिक है न ही संगठन द्वारा उन्हें मान्यता दी गई है। इसकी जांच की जाए और साथ ही यह संगठन के सदस्य न होते हुए भी बिना अनुमति व अधिकारी को बिना किसी पूर्व सूचना के प्रदेश से बाहर हिमांचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंदोलन, घरना—प्रदर्शन में जाते रहे हैं।
जिसकी सूचना इनके द्वारा सोशल मीडिया पर डाली जाती है, लेकिन कार्यालय में इनकी सेटिंग इतनी जबरदस्त है कि इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। कार्यालय में समय से न जाना जल्दी भाग जाना इनकी आदत में शुमार हो गया है। जिसकी जांच कराई जानी चाहिए इस संबंध् में जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर इनके विरुद्ध जांच की मांग की गई है।
जिला मंत्री राकेश भँवर, जिला आडिटर शीशपाल, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजेन्द्र तेश्वर ने सयुंक्तत रूप से कहा कि दीपक धवन, मनोज चंद, मुकांशी द्वारा कर्मचारियों को दबाव और बरगला कर संगठन को कमजोर करने की साजिश की जा रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जायेगा। इनके खिलाफ संघ को कानूनी कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ेगा। मनोज चंद चपरासी, मुकांशी चपरासी द्वारा आचार संहिता के दौरान जब प्रदेश निर्वाचन आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा किसी भी प्रतिनिधि जो चुनाव में विधायक प्रत्याशी हों उनसे सरकारी कर्मचारियों को मिलने की मनाही के बावजूद भी इनके द्वारा आचार संहिता के दौरान ज्ञापन दिया गया। जोकि कर्मचारी आचरण नियमावली के विरुद्ध है, इसलिये इनके विरुद्ध जांच कर कार्यवाही किये जाने की मांग संघ करता है।