प्रदेश में शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की हुई शुरूआत
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। एनएसयूआई द्वारा उत्तराखण्ड में शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की शुरूआत की है। जिसके सम्बंध् में कार्यक्रम के संयोजक उत्कर्ष वालिया ने बताया कि नई शिक्षा नीति केन्द्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढावा देती हैं। इस शिक्षा विरोधी निति को तब लाया गया जब पूरा देश कोविड कहर का दौर था। मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जनक बनाना चाहती है। जोकि गरीब छात्रों के भविष्य के साथ सीधे खिलवाड है।
श्री वालिया शनिवार को प्रेस क्लब हरिद्वार में पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। उन्होंने बताया कि शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान को एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी सतवीर चौधरी एवं प्रदेशाध्यक्ष मोहन भण्डारी ने प्रदेश में लांच किया है। उन्होंने चिंता जाहिर की हैं कि सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएगें। अब तो नई शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढावा दे रही हैं तो गरीब छात्र जाए तो जाए कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसएससी, नेट व जेईई जैसी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना, युवाओं को वर्षो तक नौकरी नहीं देना साफ करता हैं कि केन्द्र की मोदी सरकार छात्र विरोधी है। केन्द्र सरकार को चाहिए था कि अगर कोई नीति छात्रों के लिए बनाई जा रही हैं तो इस सम्बंध में छात्रों से भी राय ली जाती। लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार की आदत बन चुकी हैं कि वह तानाशाही तरीके से अपनी बनाई गयी नितियों को जबरन तरिके से थोपना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आयी हैं तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्काॅलरशिप को रोका जा रहा है। प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहे हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे है। जिससे छात्रों को नुकसान उठाना पड रहा हैं और उनके 2-3 साल बर्बाद हो रहे है।
उन्होंने बताया कि एनएसयूआई केन्द्र सरकार से मांग करती हैं कि केन्द्रीय व प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में कम से कम दो साल आयु सीमा में छुट दी जाए। क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के दो साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके है। प्रेसवार्ता में एनएसयूआई के छात्र नेताओं में जसवीर सिंह, अजय चौहान, वसीम सलमानी, दीपांशु वालियान, अंकुर शर्मा, वैैभव पाल और गौरव शर्मा आदि मौजूद रहे।
