
अखाडा पदाधिकारियों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी का लगा आरोप
लीना बनौधा
हरिद्वार। कुम्भ के शाही स्नान की पूर्व संध्या पर अप्रत्याशित रूप से श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा ने ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती से सम्बन्ध विच्छेद कर लिए। इस सम्बन्ध में जूना अखाड़े में हुई बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया। आरोप है कि शंकराचार्य वासुदेवानंद द्वारा अखाड़े के पदाधिकारियों के खिलाफ अर्नगल टिपण्णी कर रहे थे।
रविवार को जूना अखाड़े के कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें शाही स्नान क्रम को लेकर चर्चा हुई इस दौरान शाही स्नान को लेकर भी जिम्मेदारियाॅ तय की गयी। बैठक में कहा गया है कि गत दिवस जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की पेशवाई जब उनकी छावनी में पहुची, तो उसके बाद उन्होंने अखाड़े के पदाधिकारियों के खिलाफ अभद्र टिपण्णी करने के साथ साथ अर्नगल आरोप भी लगाये थे। इस मुददे् पर व्यापाक चर्चा हुई, जिसके बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर अखाड़ा ने शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती से सम्बन्ध विच्छेद करने का निर्णय लिया गया।
बताते चले कि पूर्व के कुम्भ पर्वो के दौरान शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जूना अखाड़े के साथ ही शाही स्नान करते है। इस बार भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही थी, लेकिन अचानक बदले घटनाक्रम के पश्चात अप्रत्याशित रूप से जूना अखाड़ा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर उनसे सम्बन्ध विच्छेद करने की घोषणा कर दी। बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई, जिनमें स्नान के लिए जाते समय जुलूस के लिए तथा स्नान क्रम को लेकर जिम्मेदारियाॅ भी तय की गयी है। बैठक में अखाड़ा के सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के साथ साथ विभिन्न मढ़ी के संत भी मौजूद रहे।