
♦गर्भवती महिला प्रकरण पर महिला आयोग की सदस्यता ने दी पूरे मामले को क्लीन चीट
♦महिला आयोग सदस्या ने किसी को भी दोषी नहीं पाया, जांच रिपोर्ट आयोग की अध्यक्षता को सौपेगी
♦आयोग सदस्यता के मुताबिक पूरा प्रकरण गलत फहमी के चलते मीडिया में सुर्खियों में छाया रहा
♦महिला के पति ने महिला चिकित्सक पर लगाया अभद्रता का आरोप, दोबारा नौकरी पर ना रखने का किया अनुरोध
♦सीएमओ ने भी माना कि महिला चिकित्सालय के स्टॉफ के व्यवहार को लेकर शिकायत हैं
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। चैनराय जिला महिला चिकित्सालय में गत दिनों गर्भवती महिला प्रकरण पर उत्तराखण्ड महिला आयोग की सदस्या कमला जोशी ने अस्पताल पहुंचकर दोनों पक्षों से मामले की जानकारी लेने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए पूरे प्रकरण में किसी को भी दोषी नही बताया है। उन्होंने पूरे प्रकरण में केवल गलत फहमी पैदा होने की बात कहते हुए पूरे मामले में आरोपी महिला चिकित्सक समेत स्टॉफ को क्लीन चीट दी गयी है। वहीं महिला के पति ने महिला चिकित्सक पर अभद्रता का आरोप मढते हुए उनको दोबारा अस्पताल में ना रखने की बात कही है। महिला चिकित्सालय में हुए प्रकरण पर पहली बार पत्रकार वार्ता कर अपना पक्ष रखा गया है। जबकि महिला चिकित्सालय अक्सर डिलीवरी मामले को लेकर मीडिया की सुर्खियों में रहा है।
बताते चले कि चैनराय जिला महिला चिकित्सालय हरिद्वार में 30 दिसम्बर सोमवार की रात तैनात महिला चिकित्सक व स्टॅफ पर अति सवेंदनहीनता के आरोप का मामला प्रकाश में आया था। आरोप था कि रात्रि ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक की घोर लापरवाही के चलते प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची गर्भवती महिला को भर्ती नहीं किया। जिसके चलते गर्भवती महिला ने प्रसव दर्द से तड़फते हुए फर्श पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। जिसके बाद अस्पताल स्टॉफ में हड़कम्प मच गया और अनन-फनन में महिला को भर्ती कर लिया गया।
महिला अस्पताल की गैलरी में गर्भवती महिला को प्रसव पीडा में तड़फते हुए वीडियों सोशल मीडिया में वायरल होने पर मामला सोशल मीडिया व मीडिया की सुर्खिया बन गया था। जिसके बाद सोशल मीडिया व मीडिया में तैनात महिला चिकित्सक व स्टॉफ को लेकर जो आरोप सामने आते गये। जिला महिला चिकित्सालय के पूरे प्रकरण सीएमओ डॉ. आरके सिंह के संज्ञान में आने के बाद उनके द्वारा पीएमएस डॉ. आर वी सिंह को तत्काल पूरे मामले की जांच के आदेश दिये गये थे। जिसपर पीएमएस द्वारा उसी वक्त चार चिकित्सकों की टीम गठित कर जांच शुरू कर दी गयी थी। इसी प्रकरण को उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग अध्यक्षता कुसुम काण्डपाल ने स्वतः की मामले का संज्ञान लेते हुए आयोग की सदस्यता कमला जोशी को जांच के आदेश दिये थे।
राज्य महिला अयोग की सदस्या कमला जोशी ने शनिवार को जिला महिला चिकित्सालय पहुंचकर पीडित महिला पति, आशा कार्यत्री, घटना के वक्त तैनात महिला चिकित्सक और नर्सिग अधिकारियों से जानकारी ली गयी। जिसके बाद मीडिया के सामने आकर पूरे प्रकरण पर महिला आयोग की सदस्यता कमला जोशी ने मीडिया या फिर सोशल मीडिया में चल रहे आरोपों को खारिज करते हुूए कहा कि गर्भवती महिला के साथ ऐसा नहीं हुआ था, जैसा कि सोशल मीडिया या फिर मीडया में चल रहा था। महिला को भर्ती किया गया था, जिसको चिकित्सक ने कुछ देर गैलरी में टहने के लिए बोला था, इस दौरान प्रसव पीडा हुई और उसको बैड पर ले जाया गया, जहां पर उसकी डिलवरी हुई। जबकि सोशल मीडिया में चल रहा था कि महिला की डिलीवरी फर्श पर हुई ऐसा कुछ नहीं था।
सीएमओ डॉ. आर के सिंह ने बताया कि महिला आयोग की टीम आज जांच के लिए पहुंची थी। टीम ने पीडित पक्ष की ओर से महिला के पति, आरोपी महिला चिकित्सक, नर्सिग अधिकारी समेत आशा कार्यत्री से भी पूरे प्रकरण पर जानकारी जुटाई गयी। जांच में किसी भी पक्ष ने यह बात नहीं कही कि महिला ने बच्ची को फर्श पर जन्म दिया। सोशल मीडिया या मीडिया में फर्श पर डिलवरी की बात सही नहीं पायी गयी। लेकिन व्यवहार अच्छा नहीं था, ये बात समाने आयी है। इसके सम्बंध में चिकित्सकों व स्टॉफ को सख्त हिदायत दी गयी हैं कि मरीजों या उनके परिजनों के साथ गलत व्यवहार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनके संज्ञान में मामला सामने आने पर उन्होंने जांच कमेटी गठित कर जांच करायी गयी थी। जिसमें प्रथम दृष्ट्या जो तथ्य प्रकाश में आये थे उसपर उन्होंने कार्यवाही की थी। महिला आयोग की टीम ने आज जांच की गई है। उनकी रिपोर्ट मिलने का इंतजार किया जा रहा है।