
ओपीडी पर्चा का शुल्क 23 से बढ कर हुआ 60 रूपये
पैथोलाॅली टैस्ट, बैड चार्ज और अल्ट्रा साउड का शुल्क भी बढा
विभागीय कर्मचारियों सहित मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए भी नहीं स्पष्ट निर्देश्
सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों में बढे शुल्क को लेकर दिखी नाराजगी
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। बढती मंहगाई के दौर में भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार ने गरीब व मध्य वर्गीय लोगों पर स्वास्थ्य उपचार बोझ ओर डाल दिया है। सरकारी अस्पतालों में अब उपचार कराना मंहगा हो गया है। जिला अस्पताल में गुरूवार से ओपीडी पर्चे का शुल्क 23 रूपये से बढा कर 60 रूपये कर दिया गया है। लेकिन आयुष्मान कार्ड धारकों को इतनी सुविधा दी हैं कि उनको ओपीडी पर्चे के लिए 30 रूपये ही खर्च करने होगे। इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों में होने वाले पैथोलाॅली टैस्ट, भर्ती बैड चार्ज और अल्ट्रा साउड का शुल्क में भी बेहताश वृद्धि की है। विभागीय कर्मचारियों सहित मान्यता प्राप्त पत्रकारों को मिलने वाली सुविधाओं का भी जारी जिओ में कोई खुलासा नहीं किया गया हैं कि उनको अब तक मिलने वाली सुविधाए पूर्वत जारी रहेगी या नहीं। जिसको लेकर सरकारी अस्पतालों के सीएमएस दुविधा में है। उत्तराखण्ड की जनता ने बडे अरमानों ने भाजपा सरकार को जीत दिलाते हुए उत्तराखण्ड राज्य की भी बागडोर इस उम्मीद के साथ सौंपी थी कि अच्छे दिनों की शुरूआत होगी। लेकिन अब तक केन्द्र सरकार द्वारा जारी जो भी योजनाए हैं उसका लाभ देश के सामान्य लोागों को कितना मिल पा रहा है। इसको बताने की यहां पर आवश्यकता नहीं है, वह जग जाहिर है। लेकिन राज्य की जनता को मौजूदा भाजपा सरकार क्या लाभ दे रही है। इस बात को लेकर प्रदेश की जनता अब चिंतन की स्थिति में देखी जा रही हैं कि वास्तव में जिस भाजपा सरकार को अच्छे दिनों की शुरूआत को देखते हुए सत्ता सौपी थी वह कितनी उनकी उम्मीदों पर खरा उतर रही है। हाल ही में उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने देश में बढती मंहगाई के दौर में प्रदेश की जनता का ओर बोझ बढा कर जता दिया है। उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री का जिम्मा भी स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सम्भाल रहे है। उसके बावजूद भी प्रदेश की स्थिति को जानकर भी ऐसा फैसला लेना जनहित में कहा तक सही होगा। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इतना जरूर हैं कि उत्तराखण्ड राज्य में अब गरीब व मध्य वर्गीय लोगों के लिए सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ लेना आसान नहीं रह गया है। अब तक सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्चा का शुल्क 23 रूपये लिया जाता था, अब उसका शुल्क बढा कर 60 रूपये कर दिया गया है। हां सरकार ने लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिए इतनी सुविध जरूर दी हैं कि जिस व्यक्ति के पास आयुष्मान कार्ड हैं उसको ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए 30 रूपये ही देने होगे। राज्य सरकार ने केवल आम जनता पर ओपीडी पर्चे तक ही बोझ नहीं डाला है। बल्कि सरकारी अस्पतालों में होने वाले पैथोलाॅली टैस्ट, भर्ती बैड चार्ज और अल्ट्रा साउड का शुल्क में भी बेहताश वृद्धि की है। अब तक अल्ट्रासाउड का शुल्क 471 रूपये लिया जाता था उसको बढा कर अब 700 रूपये कर दिया गया है। भाजपा सरकार के राज में उत्तराखण्ड के भीतर अब सरकारी अस्पतालों में भी उपचार कराना गरीब व मध्य वर्गीय लोगों के बूथे से बाहर हो गया है। जिला अस्पताल में जिओ के आधर पर आज से शुल्क में वृद्धि कर दी गयी है। सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों द्वारा ओपीडी पर्चे की शुल्क एकाएक 60 रूपये हो जाने से सरकार के प्रति उनमें नाराजगी देखी जा रही है। भोपतवाला निवासी एक महिला सुषमा ने बताया कि सरकार को उपचार के लिए ओर सुविधा देनी चाहिए, लेकिन सुविधा देने की बजाय जोे शुल्क बढाया गया है। उसको देखते हुए लोगों को सरकारी अस्पताल में उपचार करना भी मुश्किल हो गया है। जिस मरीज के पास पहले 60 रूपये होगे तो वह सरकारी अस्पताल उपचार के लिए पहुंचेगा, नहीं तो वह तड़फ-तड़फ कर बिना उपचार के ही भाजपा सरकार में दम तोड देगा। ज्वालापुर निवासी एक मरीज मोहन जो कि पेशे से मजदूर हैं उसका बेटा कापफी बीमार है। आज अपने बेटे को दिखाने अस्पताल आया तो पता चला कि पर्चा बनाने के लिए 60 रूपये देने होगे। जबकि उसके पास केवल सौ रूपये है। जिसमें दवा भी लेनी हैं और ज्वालापुर से अस्पताल का आने-जाने का किराया भी है। भाजपा सरकार ने गरीब लोगों के साथ मजाक किया हैं अच्छे दिनों के सपने दिखाकर उनकी उम्मीदों को चकनाचूर किया है। रोशनाबाद से एक गरीब वृद्धा शांति देवी अपनी बेटी को साथ लेकर अपने हाथ में हुए फैक्चर को लेकर अस्पताल पहुंची। उसने भी सरकारी अस्पताल में बढे शुल्क को लेकर अपनी नाराजगी जताई। जिला अस्पताल के कार्यवाहक प्रमुख अधीक्षक डाॅ. शशीकांत के अनुसार शासन से मिले जिओे के आधार पर आपीडी पर्चे व अन्य सुविधाओं के शुल्क में वृद्धि की गयी है। जिला अस्पताल की ओर से कोई भी वृद्धि नहीं की गयी है। कुछ मरीजों ने आकर अपनी नाराजगी अस्पताल के प्रति दिखाई हैं कि आपीडी पर्चे सहित अन्य सुविधाओं का शुल्क में मनमर्जी से वसूला जा रहा है। जब उनको सच्चाई से अवगत कराया गया तो वह शांत होकर चले गये। राजकीय मेला अस्पताल में जिओ दो दिन पूर्व यानि 24 सितम्बर को मिल जाने के बाद वहां पर ओपीडी सहित अन्य सुविधाओं के शुल्क में वृद्धि की गयी थी। जिसकी जानकारी देते हुए राजकीय मेला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. राजेश गुप्ता ने बताया कि शासन से जिओे मिलने के बाद निर्धारित शुल्क मरीजों से लिया जा रहा है।