
गंगा क्यों होती है मैली
सब जनवासी खुद से पूछें, गंगा माँ भी हमसे पूछे,
सबको पापों से मुक्त करे जो ,वो गंगा क्यों होती है मैली?
गंगा जी भी है रोती और यमुना जी भी है रोती,
इन बहनों की ये पीड़ा ,नही समझ किसी को आती।
हम जैसे जन ही हैं वो, जो गंगा को करते मैला,
अपने पापों को शुद्ध करने, गंगा बहाने जाते कूड़ा।
समझ नहीं आता है उनको, पाप कर रहे वो भी,
पवित्र गंगा माँ में कूड़ा डाल , मैला कर रहे वो भी
सबको प्रयास करना होगा, स्पर्श गंगा से जुड़ना होगा,
गंगा माँ को इस प्रदूषण की पीड़ा से मुक्त करना होगा।
कवयित्री
श्रीमती अंजली कैंतुरा
भागीरथी कॉलोनी नत्थनपुर
देहरादून।