
कुंभ 2021 हरिद्वार व्यापार के लिए हुआ घाटे का सौदा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। महाकुंभ में सैकड़ों किलोमीटर दूर से कमाने की आस लगाये आये कैंटीन संचालक के सपनों पर दूसरे शाही स्नान पर भीड न जुटने पर सपनों पर पानी फिर गया। कुंभ मेला क्षेत्र में लाखों लगाकर तीन कैंटीन का ठेका लेने वाले इलाहाबाद के व्यक्ति की कमाने की पूरी उम्मीद ही टूट गयी है। कर्मचारियों के दो टाइम के खाने के पैसे भी नहीं जुट पा रहे है। कुंभ मेले की तीन कैंटीन में कमाई के नाम पर हाथ खाली ही हैं, बल्कि रोजमर्रा का खर्चा भी जेब से लगाना पड़ रहा है।
जी हां हम बात कर रहे हैं इलाहाबाद निवासी सूरज यादव की जोकि खाने की कैंटीन चलाने का व्यापार करते हैं। कुंभ-2021 हरिद्वार में कुछ कमाने की ललक लिए हरिद्वार कुंभ की ओर रूख करते हुए लाखों रूपये लगाकर तीन कैंटीन का ठेका लिया हैं। ऋषिकुल बस अड्डे पर भी कैंटीन की देखरेख कर रहे राजाराम निवासी लखनऊ ने बताया कि कुंभ मेले के दूसरे शाही स्नान पर बस अड्डे पर भारी संख्या में यात्रियों के आने की उम्मीद थी, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या गिनी चुनी रही, उनकी कैंटीन को काफी मुनाफा होने की उम्मीद पर पानी फिर गया। ऋषिकुल बस अड्डे पर यात्रियों की भारी संख्या को देखते हुए कैंटीन को काफी बडे एरिया में कई खाने के स्टाॅल खोले गए हैं जिसमें यात्रियों के जायके को देखते हुए अलग-अलग आइटम बेचने का इंतजाम किया गया है।
कैंटीन को चलाने के लिए 15 कर्मचारियों का स्टाफ भी रखा गया है, करीब एक सप्ताह पहले ऋषिकुल बस अड्डे पर कैंटीन को चालू कर दिया गया था। कुंभ मेले के दूसरे शाही स्नान के बाद कैंटीन प्रबंधक राजाराम ने बहुत ही दुखी मन से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि कुंभ मेले में अलग-अलग स्थानों पर हमारे बाबूजी सूरज यादव ने तीन कैंटीन ली थी पर कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम होने की वजह से कर्मचारियों के सुबह शाम खाने के पैसे भी निकलने भारी हो गए हैं, तीनों कैंटीन पर 60 कर्मचारी काम करते हैं।
कुंभ के दूसरे शाही स्नान के बाद उनकी उम्मीद अब पूरी तरह टूट चुकी है, क्योंकि देश में जिस रफ्रतार से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में निरंतर बढोत्तरी हो रही है, उसके देखकर भविष्य में महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आने पर सवाल उठ रहे हैं। कल यानि मंगलवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं, इस कारण बुधवार को होने वाले तीसरे शाही स्नान में भी श्रद्धालुओं के कम पहुंचने की उम्मीद है। फिलहाल लाखों रुपए लगाने के बाद भी महाकुंभ में जो उम्मीद कमाने की लेकर सैकड़ों किलोमीटर दूर से आए थे, वह घाटे का सौदा साबित हुआ। महाकुंभ 2021 हरिद्वार उनके लिए बुरा सपना साबित हुआ।