
उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक दलों की प्रस्तुति रहे आर्कषण के केन्द्र
हेलीकाॅप्टर व पैराग्लाइड से हुई पेशवाई पर पुष्प वर्षा
लीना बनौधा
हरिद्वार। कुम्भ मेला 2021 में पहली दिव्य और भव्य पेशवाई श्रीपंचायती निरजनी अखाड़ा द्वारा निकाली गई। हर-हर महादेव के जयघोष से गुजायमान ने पूरे वातावरण को भक्तिमय हो गया। पेशवाई में हाथी, उट के साथ भव्य झाॅकियों ने नगर वासियों का मन मोह लिया। शहर के मध्य एसएमजेएन पीजी काॅलेज के मैदान से पेशवाई निकाली गयी। पेशवाई पर हेलीकाॅप्टर, पैराग्लाइड से पुष्प वर्षा की गई।
भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करने के बाद संतगण पेशवाई में शामिल हुये। श्रीपंचायती निरजनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज, सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद महाराज सहित विभिन्न संतो ने पूजा अर्चना कर 2021 कुम्भ के सकुशल सम्पन्न होने की कामना की। प्रदेश के मुख्यमंत्राी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी पेशवाई प्रारम्भ होने से पूर्व पहुंचकर संतो से आर्शीवाद लिया।
कोविड काल में कोरोना की बाध्यतों के बीच पहली पेशवाई तकरीबन तीन किलोंमीटर लम्बी रही। पेशवाई शहर के मध्य गोविन्दपुरी से निकलकर चन्द्राचार्य चौक से शंकर आश्रम तिराहे पहुची। वहां से सिहंद्वार से देशरक्षक तिराहे से झण्डा चौक, पहाड़ी बाजार से शंकराचार्य चौक से तुलसी चौक पहुचेगी। जहां से शिवमूर्ति से बाल्मीकि चौक से होकर ललतारौ पुल से निरंजनी अखाड़ा रोड से अखाड़ा में प्रवेश करेगी। पेशवाई में सबसे आगे अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद महाराज का रथ, उनके पीछे राम मन्दिर न्यास ट्रस्ट के सदस्य एवं अखण्ड ज्योतिधम के परमाध्यक्ष स्वामी परमानंद तथा उनके पीछे आनन्द अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज का रथ चल रहा था।
पेशवाई में अखाड़े से जुड़े करीब 50 से ज्यादा महामण्डलेश्वरों के अलावा श्रीमहंत एवं संतगण शामिल हुये। पेशवाई में केन्द्रीय मंत्राी साध्वी निरंजन ज्योति के अलावा कई प्रसिद्व महामण्डलेश्वर भी शामिल हुये। पेशवाई में सबसे आगे हाथी, उफॅट पर सवार संत चल रहे थे, उनके पीछे घोड़े पर सवार संत चल रहे थे। उसके पीछे सैकड़ो की तादाद में नागा सन्यासी थे। पेशवाई का जगह जगह स्थानीय लोगों के अलावा विभिन्न सामाजिक एवं धर्मिक संगठनों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। पेशवाई को देखने के लिए लोगों का जमवाडा सड़क किनारे व आसपास की ईमारतों की छत पर लगा रहा। श्रद्धालुओं संतों के दर्शन करते हुए उनको नमन किया और आशीवार्द लिया।