संतों की मौत के अनसुलझे रहस्य कब सुलझेंगें
लीना बनौधा
हरिद्वार। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत श्री नरेंद्र गिरि की प्रयागराज बाघंबरी मठ में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और उनके शिष्य संत आनंद गिरि की हरिद्वार से गिरफ्तारी के बाद धर्मनगरी एक बार फिर सुर्खियों में है। पिछले तीन दशकों में 22 संत अपनी जान गंवा चुके हैं।
श्रीमहंत की मौत का रहस्य भी संपत्ति के विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। धर्मनगरी के मठ-मंदिर, आश्रम और अखाड़ों के पास अकूत संपत्ति है। अधिकतर संस्थाओं को संपत्ति दान में मिली है। सांसारिक, पारिवारिक मोह माया से दूर रहने का उपदेश देने वाले कई संत व महंत इन्हीं के फेर में पड़े हैं। आलीशान आश्रमों में रहना, करोड़ों रुपये की लग्जरी कारों में घूमना, इनका रहन-सहन राजाओं से कम नहीं है। मठ-मंदिर-महंत, आश्रम और अखाड़ों की गद्दी व संपत्ति के विवाद जगजाहिर है।
लग्जरी लाइफ स्टाइल व सर्वोच्च गद्दी पर बैठने से लेकर खर्चों की पूर्ति के लिए संस्था की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने के षड्यंत्र रचे जाते हैं।
संतों की मौत के अधिकतर मामलों को पुलिस भी नहीं सुलझा सकी है। आज भी कई संस्थाओं के संपत्ति और गद्दी के विवाद थानों से लेकर अदालतों में चल रहे हैं।
साजिशों के शिकार 22 संत
25 अक्तूबर 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य को स्कूटर सवार लोगों ने गोली मारी।
9 दिसंबर 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही संत रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या हो गई।
1 फरवरी 2000 को मोक्षधाम ट्रस्ट से जुड़े रमेश को जीप ने टक्कर मार दी जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
चेतनदास कुटिया में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में हत्या हो गई।
5 अप्रैल 2001 को बाबा सुतेंद्र बंगाली की हत्या हुई।
6 जून 2001 को हरकी पैड़ी के पास बाबा विष्णुगिरि समेत चार साधुओं की हत्या हुई।
26 जून 2001 को बाबा ब्रह्मानंद की हत्या हो गई।
2001 को पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली मार दी।
17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद और शिष्य की हत्या हो गई।
2002 में ही संत नरेंद्र दास की हत्या की गई।
6 अगस्त 2003 को संगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानंद अचानक लापता हो गए।
28 दिसंबर 2004 को संत योगानंद की हत्या हो गई।
15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या हुई।
25 नवंबर 2006 को बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
जुलाई 2007 में स्वामी शंकर देव लापता हो गए।
8 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के सात साधुओं को जहर दिया गया।
14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के महंत सुधीर गिरि की हत्या हो गई।
26 जून 2012 लक्सर में हनुमान मंदिर में तीन संतों की हत्या हुई।
