
मांझा लोगों व पशु-पक्षियों की जान के लिए खतरा बना
लीना बनोधा
हरिद्वार। स्थानीय एस.एम.जे.एन. पी.जी काॅलेज में आज शिक्षकों व छात्र-छात्राओं द्वारा बसंत पंचमी पर प्रयोग किये गये चाइनीज मांझे को काॅलेज मैदान से एकत्र कर विनिष्ट किया गया। इस अवसर पर काॅलेज के छात्र-छात्राओं को काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि चाईनीज मांझा लोगों, पशु-पक्षियों की जान पर ही नहीं अपितु देश के कारोबार पर भी भारी पड़ रहा है।चाईनीज मांझे ने देशभर में चर्चित रहे बरेली के दो सौ वर्ष पुराने स्वदेशी मांझे के कारोबार को बुरी तरह से प्रभावित किया है, नतीजतन स्वदेशी मांझा कारोबार अन्तिम सांसे गिन रहा है। डाॅ. बत्रा ने बताया कि चाईनीज मांझा नाॅन बायो डिग्रेडेबिल होता है, यानि इसका विघटन जमीन में नहीं हो पाता है, जबकि स्वदेशी मांझा सूती धागेे का होने के कारण पानी में गिरकर गल जाता है। आत्म-निर्भर भारत के प्रोत्साहन हेतु इस कुटीर उद्योग को संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है। अध्ष्ठिाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने बताया कि चाईनीज मांझा प्लास्टिक के धागे से तैयार किया जाता है तथा इस पर लोहे का बुरादा लगा होता है, जिससे बिजली का करंट प्रवाहित होने का खतरा भी बना रहता है। इस अवसर पर डॉ श्रीमती सरस्वती पाठक,डाॅ. जे.सी. आर्य, डाॅ. शिव कुमार चौहान, वैभव बत्रा, विनय थपलियाल, डॉ मनमोहन गुप्ता, अंकित अग्रवाल तथा काॅलेज के छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।