
कोरोना काल में हर व्यक्ति ने अपने किसी न किसी को खोया
पीड़ितों की मदद के लिए हम सबको हाथ आगे बढ़़ाने होंगें
लीना बनौधा
हरिद्वार। कोरोना काल में हर व्यक्ति ने अपने किसी ना किसी को खोया है, चाहे परिवार का सदस्य हो या फिर परिवारिक सम्बंधी हो। जिस तरीके से कोरोना संक्रमण ने देश भर में हाहाकार मचाया है, उससे केवल आम जनता ही नहीं बल्कि देश की सरकारेें भी अपने को असहज महसूस कर रही है। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा है कि आखिर कोरोना संक्रमण से कैसे पार पाया जा सकेेगा।
केन्द्र हो या राज्य सरकारें अपने-अपने तरीके से हर मुमकिन कोशिश कर कोरोना को मात देने में लगी हैं। मगर किसी के पास ऐसी कोई उपाय नहीं कि आम जनमानस को कोरोना की महामारी से बचाये जा सके। भले ही देश में कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन का निर्माण कर लिया गया है मगर अब देश के भीतर कोरोना ने मरीजों के फेफड़ों को जकड़ते हुए उनको साँस लेने में दिक्कत पैदा कर दी है और आज देश के भीतर चारो ओर आक्सीजन का आकाल पड़ गया है। कुछ संस्थाएं व सरकारें आक्सीजन की पूर्ति करने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही हैं। फिर भी लोग अपनों को बचाने के लिए आक्सीजन के लिए दर दर भटकने को मजबूर हैं।
वहीं एक तबका ऐसा भी सामने आया है जोकि कोरोना महामारी में भी अपनी स्वार्थ पूर्ति करने व अपनी तिजोरी भरने से भी बाज नहीं आ रहा है। जिसके लिए इस तबके से जुड़े लोगों द्वारा मानवता को तार-तार करते हुए काला बाजारी की जा रही है, वहीं देश व इंसानियत के दुश्मनों द्वारा नकली दवाओं के सहारे लोगों की मजबूरी व लाचारी का फायदा उठाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि सरकारों ने ऐसे लोगों पर अपना शिंकजा न कंसा हो, मगर उसके बावजूद ऐसे तबके के लोग हर रोज कोई न कोई ऐसा र्फामूला खोज निकालते हैं, जिसके झांसे में आकर अपनों की जान बचाने के लिए जद्दोजद करने में जुटे लोग उनके शिकार बन रहे हैं।
अगर हम जनपद हरिद्वार की बात करें तो प्रशासन ने काला बाजारियों और इंसानियत के दुश्मनों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी है और कई लोगों को दबोच कर सलाखों के पीछे भी धकेला है लेकिन ऐसे कालाबाजारियों को बेनकाब करने के लिए हम सब को एक साथ मिलकर उन्हें समाज के बीच से खींचकर बाहर निकालना होगा। ताकि समाज में पनप रहे कोढ़ से इंसानियत को बचाया जा सके। कोरोना महामारी में हम सबको किसी न किसी तरह से कोरोना संक्रमण पीड़ित व उसके परिवार की हर सम्भव मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़़ाने होंगें। यह जरूरी नहीं कि मदद केवल आर्थिक हो, बल्कि उनके लिए अपने स्तर से कोरोना महामारी में फंसे परिवार को कैसे और क्या राहत दिलाई जा सकती हैं हमें इस पर भी काम करना होगा।