
लीना बनौधा
हरिद्वार। भैया दूज पर बहनों ने अपने भाईयों के उज्जवल भविष्य और दीर्घायु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए भाइयों को तिलक लगाया और मुंह मीठा किया। भाई से वचन लिया कि इस दिन वह कहीं भी रहे, उनके पास जरूर पहुंचेंगे। वहीं, भाईयों ने भी अपनी बहनों से टीका कराकर उन्हें उपहार स्वरूप गिफ्रट भेंट किए। भाई-बहन के प्रेम और रक्षा का पर्व रक्षाबंधन के बाद स्नेह का दूसरा पर्व भैया दूज है। भैया दूज में बहनें भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को नगर से गांव तक मनाया गया। आचार्य कहते हैं, पर्व का प्रमुख मकसद भाई-बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव को और मजबूत करना है। बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु की मंगल कामना कर तिलक लगाती हैं। भाइयों को तेल मलकर नदी में स्नान भी कराती हैं। नदी न होने की दशा में भाई को घर पर नहाना होता है। उन्होंने कहा कि यदि बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराये तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। बहनें भाइयों को चावल खिलाती हैं। बहन शादीशुदा हो तो उसके घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन सगी, चचेरी अथवा ममेरी कोई हो सकती है। बहन न हो तो गाय, नदी आदि का ध्यान करके या उसके पास बैठकर भोजन करना भी शुभ माना जाता है।