
पीएमएस अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ अन्य कामों में व्यस्त
आखिर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में ऐसा क्या हैं ?
इमरजेंसी का मोह एक चर्चित फार्मेसिस्ट नहीं छोड़ पा रहा
चर्चित फार्मेसिस्ट का इमरजेंसी में चलता हैं पूरा सिक्का
उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के जीओ का पालन नहीं हो रहा
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल हरिद्वार की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। जहां पर हर कोई अपने सुविधा के अनुसार ड्यूटी निभा रहा है। जिनमें जनता व अस्पताल के प्रति अपनी जिम्मेदारी का तनिक भी एहसास नहीं है। अस्पताल में तैनात चिकित्सक व फार्मेसिस्टों को छोड़ो यहां तो जिला अस्पताल का बोस यानि पीएमएस की जिम्मेदारी जिस चिकित्सक को सौंपी गयी हैं वही अपनी जिम्मेदारी को सही से अस्पताल के प्रति ठीक से नहीं निभा पा रहे है। जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं और चिकित्सकों को साथ लेकर अस्पताल की व्यवस्थाओं की सुदृढ बनाकर जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने का जिम्मा हैं, वहीं चिकित्सक पीएमएस पद से इंसाफ नहीं कर पा रहे हैं।
आरोप हैं कि पीएमएस केवल टूटी-फूटी कुर्सियों की मरम्मत कराने, बिजली के तार बदलवाने समेत अन्य ऐसे काम जोकि अस्पताल के अन्य स्टॉफ के हिस्से का हैं, उसपर अपना ध्यान लगाकर अपनी सेवाओं को वहीं तक सिमटा कर रख दिया है। ताज्जूब हैं कि जनपद हरिद्वार उत्तराखण्ड प्रदेश का हिस्सा हैं, लेकिन सही मानों तो जिला, मेला और महिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के जीओ का पालन भी ईमानदारी से नहीं हो पा रहा है। यहां पर सालों से तैनात चिकित्सक व फार्मेसिस्ट जीओं को ठेगा दिखाकर जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को दरकिनार कर अपने हित साधने में जुटे है।
यहां हम आप को केवल जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं से रूबरू करा रहे हैं। मेला और महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं से अपने पाठकों को रूबरू व स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियोें की आंखों को खोलने का काम बाद में करेगें। जिला अस्पताल में व्यवस्थाओं को लेकर केवल आम जनता ही परेशान नहीं हैं, बल्कि वहां तैनात चिकित्सक भी व्यवस्थाओं को लेकर हैरान व परेशान है। लेकिन वो बात अलग हैं कि अपने अधिकारी के खिलाफ मीडिया में कुछ भी बोलने से कतरा रहे है।
चिकित्सकों का आरोप हैं कि जिला अस्पताल वास्तव में भगवान भरोसे चल रहा है। जिस चिकित्सक को जिला अस्पताल की जिम्मेदारी सौप कर पीएमएस पद पर तैनात किया गया हैं वह अपनी सही जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे है। वहीं जिला अस्पताल हरिद्वार में उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के जीओ का पालन ना होने का खामियाजा शहर की जनता को भी भुगतना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में सालों से कुंडली मारकर बैठे कुछ लोग अपनी मनमर्जी से ड्यूटी निभा रहे है या यह कहे कि वहीं जिला अस्पताल को अपने तरीके से चला रहे है। ऐसा नहीं कि सालों से जिला अस्पताल में कुंडली मार कर बैठे लोगों की जानकारी उत्तराखण्ड के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को नहीं है। लेकिन उसके बावजूद भी वह जिला अस्पताल में जीओ का पालन नहीं करा पा रहा है। यह उनकी लाचारी कहे या कुछ ओर कहा नहीं जा सकता।
ऐसे ही जिला अस्पताल में चर्चित एक फार्मेसिस्ट वर्ष 2013 से लगातार तैनात चला आ रहा है। जिसका इमरजेंसी में पूरा सिक्का चलता है। इस फार्मेसिस्ट के आगे पूर्व में रहे सीएमएस और मौजूदा पीएमएस भी कोई मायने नहीं रखते। फार्मेसिस्ट का इतना बोलबाला हैं कि वह जो चाहता हैं वहीं हो रहा हैं। सरकारी महकम्मे में हर कोई अधिकारी या कर्मचारी अपने परिवार के साथ रहना पंसद करता है। लेकिन इस महाशय का अलाम हैं कि उसको जिला अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात रहना पंसद है।
वर्ष 2013 से परिवार से अलग रहकर हरिद्वार के जिला अस्पताल में ड्यूटी निभा रहा है। जबकि परिवार अन्य जनपद में निवास करता है। आखिर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में ऐसा क्या हैं ? जिसका मोह चर्चित फार्मेसिस्ट नहीं छोड़ पा रहा है। यह सवाल हर शख्स चाहे उनमें जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक हो या फिर अन्य स्टॉफ सभी के जहन में धुम रहा है। जानकारों का आरोप हैं कि अगर स्वास्थ्य विभाग ईमानदारी से चर्चित फार्मेसिस्ट की चल अचल सम्पत्ति की जांच कराये तो कमाई से अधिक की सम्पत्ति जोड़ने का खुलासा हो सकता है।