
बिना स्वार्थ के भटके लोगों के जीवन को बनाने में लगी हैं संस्था
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। एल्कोहोलिक्स एनोनिमोस संस्था समाज मे लंबे समय से लोगों को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए काम कर रही है। जिसके सम्बंध में संस्था के पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित दिन एक बैठक के माध्यम से अपना निस्वार्थ अभियान चलाये हुए है। जिसके तहत संस्था द्वारा सेंट मैरी स्कूल ज्वालापुर को रविवार सायं 4 से 5 बजे तक, राम कृष्ण मिशन (बंगाली) हस्पताल मे प्रत्येक बुधवार को सायं 6 से 7 बजे तक लोगों को अपने अभियान की जानकारी देते हुए नशे की लत में गिरफ्रतार हर वर्ग के लोगों को नशे की आदत से मुक्ति दिलाने के प्रयास में जुटी है। इस बात की जानकारी कुनाल सिंह ने देते हुए कहा कि इतना ही नहीं सीएमओ के आदेशानुसार सभी अस्पतालों मे जागरुकता हेतु बोर्ड लगाए जाने का कार्य शुरु कर दिया गया है। इस अवसर पर दो हेल्पलाइन नम्बर 9012002229 व 8979296800 भी जारी किए गये है। जिस पर इस संस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। एल्कोहोलिक्स एनोनिमोस (ए ए)की शुरुआत हरिद्वार में दिसंबर 2013 में हुई थी, एल्कोहोलिक्स एनोनिमोस ऐसे स्त्री पुरूषों की संस्था है जो एक दूसरे से आपस मे अपना अनुभव शक्ति व आशा बाटंते हैं, ताकि वे अपनी शराब की सांझी समस्या का हल कर सकें व दूसरे शराबियों की इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मे सहायता कर सकें। इसकी सदस्यता के लिए कोई चंदा या फीस नहीं देनी पड़ती, यह (ए ए) के अपने योगदानों के जरिए आत्मनिर्भर है। उन्होंने बताया कि ए ए का प्राथमिक उद्देश्य केवल शराबियों की शराब छोड्ने में सहायता करना है। ए ए की शुरुआत 1935 में (OHIO) ओहायो (USA) मे हुई थी धीरे धीरे विश्व के 184 देशों मे फैल गई। आज ए ए की सदस्यता 30 लाख से अधिक है तथा इसकी सभाए नियमित रुप से बड़े शहरो और कस्बों में होती है। भारत में इसकी शुरुआत दिल्ली में 1957 में हुई पर मुम्बई में ए ए पनपा। जिसमे की पूरे भारत वर्ष में अनुमानित आज की तारीख में 40,000 से ज्यादा सदस्य है। वर्ष 2012 में आमिर खान द्वारा निर्मित सत्यमेव जयते के प्रसारण में भी इस संस्था के कार्यों को बताया गया था तत्पश्चात इस संस्था की लोकप्रियता भारत में बहुत बढी। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से ए ए की हेल्पलाईन पर 5000 तथा पूरे भारत से 700000 से अधिक जानकारी हेतु काल्स आई। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है की यह संस्था कितनी व्यापक है। कुनाल सिंह ने बताया कि इस बीमारी (शराबीपन) का जाना हुआ कोई चिकित्सीय ईलाज नहीं है पर अच्छी खबर यह है कि इसकी रोकथाम ए ए के जरिए प्रभावी तरीके से की जा सकती है, शराबीपन की तुलना अक्सर डाइबिटीज (मधुमेह) से की जाती है। जिस प्रकार सभी मीठा खाने वालो को मधुमेह नहीं होता उसी प्रकार अनुमानित 100 शराब का शेवन करने वाले व्यक्तियों में से 10 से 15 को यह समस्या हो जाती है। उन्होंने बताया कि ए ए का अनुभव यह दर्शाता है कि जो सदस्य नियमित रुप से ए ए की सभाओ में जाते है। और उनके सुझाए सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाते है। वह आम तौर पर एक एक कर शराब के पहले घातक घूंट से दूरी बनाने में सफल रहते है। इस सभा में कोई भी इच्छुक व्यक्ति सम्मलित होकर लाभ उठा सकता है ।