
चिकित्सकों को अपनी पूरी डिटेल के साथ भरना होगा फार्म
वर्षभर में अधिक रेफर करने वाले चिकित्सक से मांगा जाएगा जबाब
आयुष्मान पैनल के कुछ निजी हॉस्पिटलों की मनमानी आ रही सामने
पैनल के निजी हॉस्पिटल की शिकायतों पर नहीं दिख रहा कोई एक्शन
मुकेश वर्मा
हरिद्वार। जिला अस्पताल के चिकित्सकों को आयुष्मान कार्ड के मरीजों को रेफर करना अब आसान नहीं रह गया है। चिकित्सकों को अब मरीज को रेफर करने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा। क्योंकि शासन की ओर से रेफर करने चिकित्सकों के लिए एक सरकुलर जारी किया गया है। जिसके तहत रेफर करने वाले चिकित्सकों को एक फार्म भरना अनिवार्य होगा, जिसमें चिकित्सकों की अपनी पूरी जानकारी रजिस्टेशन नम्बर सहित दर्ज करनी होगी।
बताया जा रहा हैं कि शासन द्वारा वर्षभर में जो चिकित्सक सबसे ज्यादा मरीजों को रेफर करेगा, तो उनसे जबाब तलब किया जायेगा। अमूमन पहले निजी चिकित्सालयों की ओर दौड़ लगाने के लिए मरीज सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों से रेफर करा लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पायेगा।
बताते चले कि केन्द्र सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड पर पांच लाख के मुफ्रत ईलाज की व्यवस्था की गयी है। आयुष्मान कार्ड की व्यवस्था सरकारी अस्पताल से लेकर आयुष्मान के पैनल में शामिल निजी हॉस्पिटलो में लागू की गयी है। शासन की ओर से उत्तराखण्ड के अधिकांश निजी हॉस्पिटलों को आयुष्यमान पैनल से जोड़ा गया है। अगर हम हरिद्वार की बात करेें तो यहां पर भी निजी हॉस्पिटलों की संख्या अधिक हैं, जिनको आयुष्मान कार्ड सुविधा की लिस्ट में शामिल किया गया है।
आरोप हैं कि कुछ निजी हॉस्पिटल आयुष्मान कार्ड धारकों को गुमराह करते हुए किसी न किसी बहाने अलग से उनसे अधिक धन वसूल रहे है। जिसकी जानकारी समय—समय पर सार्वजनिक भी होती रही है। बताया जा रहा हैं कि आयुष्मान कार्ड धरकों से गुमराह कर अलग से धन वसूलने की शिकायत कई बार सम्बंधित अधिकारियोें समेत मुख्यमंत्री पोटल पर भी किये जाने की बात सामने आती रही है। लेकिन मरीजों को गुमराह करने वाले ऐसे निजी हॉस्पिटलों के खिलाफ कोई एक्शन शासन की ओर से अभी तक नहीं दिखा है।
लेकिन अब शासन की ओर से ऐसे निजी हॉस्पिटलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए सरकारी अस्पतालों को एक सरकुलर जारी किया गया हैं। जिसके तहत चिकित्सक को आयुष्मान कार्ड धारक मरीज को रेफर करने से पूर्व अब दस बार सोचना पड़ सकता है। आयुष्मान कार्ड धरक मरीज को रेपफर करने से पूर्व एक पफार्म भरना होगा, जिसमें चिकित्सक को अपनी पूरी जानकारी रजिस्टेशन नम्बर सहित भरनी होगी। बताया जा रहा हैं कि वर्षभर में शासन की ओर से आयुष्मान कार्ड धरक मरीजों की रेफर की संख्या जिस चिकित्सक की अधिक पायी जाती हैं तो उस चिकित्सक से जबाब तलब किया जाएगा।
आयुष्मान हैल्प लाईन नम्बर 14555 पर सम्पर्क करने पर मौजूद परमजीत से जब हरिद्वार के किसी निजी हॉस्पिटल की कोई शिकायत आयुष्मान कार्ड धारक मरीज को परेशान करने की मिली तो आयुष्मान हैल्पलाईन में मौजूद परजीत ने इसकी जानकारी देने में अपनी असमर्थता जताते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्होंने बताया कि आयुष्मान पैनल में शामिल निजी व सरकारी हॉस्पिटलों में आयुष्मान मित्र मौजूद है। जिन मरीजों को कोई परेशानी हो तो उनसे सम्पर्क करने की बात कही है।
जिला अस्पताल हरिद्वार चिकित्साधिकारी डॉ. चंदन मिश्रा ने बताया कि शासन की ओर से मिले निर्देश पर आयुष्मान कार्ड धारकों मरीजों को रेफर करने वाले चिकित्सकों का पूरी जानकारी एक फार्म के जरिये एकत्रित करने को कहा गया है। जिसका पालन कराया जा रहा है। लेकिन कई बार एक रेफर मरीज के परिजन दोबारा जब रेफर कराने के लिए पहुंचते है, तो हैरानी होती है। मरीज के परिजनों द्वारा जानकारी दी जाती है कि निजी हॉस्पिटल में मरीज को आयुष्मान कार्ड के आधार पर भर्ती नहीं किया, बल्कि मरीज को बिना भर्ती किये टेस्ट करने के नाम पर पैसा ले लिया गया। शहर के कुछ ऐसे आयुष्मान की पैनल में शामिल निजी हॉस्पिटल हैं जो आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को गुमराह कर रहे है, जोकि गलत है।